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30 साल पूरे नहीं, इसलिए गिरा नहीं सकते जर्जर स्कूल की बिल्डिंग; पिलर के सहारे टिकी छत

 

Damoh News: दमोह जिले से करीब 17 किलोमीटर दूर भूरी गांव का मिडिल स्कूल इन दिनों अपनी खस्ताहालत इमारत के कारण चर्चा में है। साल 2000 में बनी यह बिल्डिंग अब पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। चार कक्षों में से एक की छत पहले ही गिर चुकी है, जबकि बाकी कमरों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं। किसी भी समय दीवारें या छत ढह सकती हैं।

पिलरों के सहारे टिकी छत

हालात इतने खराब हैं कि शाला प्रबंधन समिति ने करीब डेढ़ लाख रुपये खर्च करके तीन पिलर खड़े करवाए हैं, ताकि छत का भार किसी तरह टिक सके। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि नियम के अनुसार 30 साल पूरे होने से पहले किसी स्कूल बिल्डिंग को गिराया नहीं जा सकता। अफसरों को भी इस बात की जानकारी है, लेकिन इमारत उपयोग के लायक नहीं बची।

बच्चों की सुरक्षा पर संकट

भूरी प्राथमिक और मिडिल स्कूल में करीब 147 छात्र पढ़ते हैं। पहले दोनों स्कूल एक साथ चलते थे, लेकिन बिल्डिंग असुरक्षित होने से अब कक्षाएं अलग-अलग समय पर लगाई जा रही हैं। अतिरिक्त कमरों में पढ़ाई कराई जा रही है, लेकिन वे भी मजबूत नहीं हैं। शिक्षकों का कहना है कि इन कक्षों की गुणवत्ता इतनी खराब है कि वे भी कभी भी ढह सकते हैं।

मरम्मत पर हुआ खर्च बेअसर

बीच-बीच में मरम्मत के नाम पर पैसा खर्च हुआ, लेकिन सुधार नहीं हुआ। दो साल पहले तीन पिलर डलवाए गए, पर दीवारों की दरारें बढ़ती चली गईं। अब पूरी इमारत चारों ओर से खुली पड़ी है। फेंसिंग न होने के कारण बच्चे यहां खेलते रहते हैं, जिससे हादसे का खतरा और बढ़ जाता है।

शिक्षकों की चिंता

शिक्षकों का कहना है कि बिल्डिंग पूरी तरह अनुपयोगी हो चुकी है और किसी भी समय बड़ी दुर्घटना हो सकती है। मजबूरी में अतिरिक्त कक्षों में पढ़ाई कराते हैं, लेकिन वहां भी झुकी हुई दीवारें खतरे का संकेत दे रही हैं। हेडमास्टर का कहना है कि डेढ़ साल से लगातार पत्र लिखे जा रहे हैं, लेकिन नियमों की वजह से इजाजत नहीं मिल रही।

सरपंच ने भी मना किया

इमारत की मरम्मत को लेकर स्थानीय सरपंच ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि मरम्मत संभव नहीं है, इसे तोड़कर ही नई बिल्डिंग बनाई जानी चाहिए। विभाग से 4 लाख 33 हजार रुपये का बजट स्वीकृत हुआ है, लेकिन सरपंच का मानना है कि यह राशि पर्याप्त नहीं है।

अफसरों का तर्क

शिक्षा विभाग और निर्माण एजेंसी से जुड़े अफसरों का कहना है कि नियमों के मुताबिक स्कूल की उम्र 30 साल तय है। इस बिल्डिंग को 25 साल भी पूरे नहीं हुए हैं, इसलिए इसे तोड़ा नहीं जा सकता। फिलहाल मरम्मत कराकर ही इसे सुरक्षित बनाने की कोशिश की जा रही है।