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राजघाट पर सफाई की अनदेखी, ब्लैक स्पॉट फिर गंदगी का केन्द्र बन गया

 

Burhanpur News: बुरहानपुर के सूर्यपुत्री ताप्ती नदी के राजघाट क्षेत्र में नगर निगम द्वारा सफाई कराए जाने के बावजूद हाल ही में फिर कचरे का ढेर जमा होने लगा है। यह वही जगह है जिसे पहले ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित कर जेसीबी से सफाई कराई गई थी। नगर निगम ने यह दावा किया था कि यहां सफाई और परकोटे की मरम्मत के बाद लोग कचरा नहीं डाल पाएंगे, लेकिन एक साल बीतने के बावजूद यह जगह फिर गंदगी का केन्द्र बन गई है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि राजघाट के आसपास के मकानों से बहने वाला गंदा पानी और लोग कचरा फेंकने के कारण यह स्थान लगातार दूषित हो रहा है। राजघाट पर कई प्राचीन मंदिर हैं और रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। इसके अलावा जैनाबाद पुलिया के माध्यम से भी सैकड़ों लोग गुजरते हैं। मुख्य रास्ते के पास कचरे के ढेर से उठती बदबू और गंदगी के कारण लोग खासे परेशान हैं।

नगर निगम ने पहले भोपाल से दिए गए निर्देशों के अनुसार शहर के प्रमुख ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए थे। राजघाट के अलावा इंदिरा कॉलोनी, बुरहानपुर पब्लिक स्कूल के पीछे, बैरी मैदान, सैयद बड़वाले के घर के पास, केसरीनंदन व्यायामशाला के पास डाकवाड़ी और गुलमोहर मार्केट को भी सफाई के लिए चिन्हित किया गया था। इन स्थानों पर लंबे समय से कचरा जमा हो रहा था। सफाई के बाद निगम ने फोटो और विवरण गूगल शीट पर अपडेट कर भोपाल भेजा, लेकिन इसके बावजूद सतत निगरानी नहीं की गई, जिससे कचरे का पुनः जमा होना शुरू हो गया।

विशेषज्ञों के अनुसार राजघाट पर परकोटे का टूटा हिस्सा लोगों के कचरा फेंकने का प्रमुख कारण बना हुआ है। नगर निगम ने इसे सुधारने का वर्क ऑर्डर जारी कर दिया है और जल्द ही मरम्मत का काम शुरू होगा। इसके अलावा राजघाट क्षेत्र में कभी नाला बहा करता था, लेकिन दशकों तक कचरा डाले जाने से वह बंद हो गया। नाले के बंद होने के कारण आसपास के मकानों से निकलने वाला गंदा पानी सीधे खुले में बह रहा है।

ताप्ती नदी में शहर भर के नाले मिलते हैं, जिससे नदी का पानी बी-ग्रेड का है। बारिश के दौरान बहाव होने पर पानी थोड़ा बेहतर लगता है, लेकिन बहाव कम होने पर पानी ई-ग्रेड का हो जाता है। नदी में कारखानों का रासायनिक और औद्योगिक प्रदूषण भी लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में लोग नदी में नहाना बंद कर चुके हैं और केवल कपड़े धोने के लिए ही पानी का उपयोग कर रहे हैं। शहर के 36 किलोमीटर के दायरे में नदी का पानी विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग गुणवत्ता का है।

नगर निगम और संबंधित अधिकारी वर्षों से नदी के शुद्धिकरण और सफाई के दावे करते रहे हैं, लेकिन गंदे नालों को सीधे नदी में मिलने से रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए। स्थानीय लोग चाहते हैं कि नदी और घाटों की सफाई नियमित रूप से की जाए और नालों से निकलने वाला गंदा पानी नियंत्रित किया जाए।

राजघाट पर सफाई की अनदेखी ने इसे फिर से ब्लैक स्पॉट बना दिया है। यह स्थिति न केवल स्वच्छता और सौंदर्य के लिए चिंता का कारण है, बल्कि लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा और नदी की गुणवत्ता के लिए भी गंभीर खतरा है।