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MP News: मप्र के अडवानिया गांव को केदारेश्वर से मिली प्रसिद्धि तो व्यवसाय बढ़ा, मुनाफे की खेती कर रहे किसान

 

MP News: मैं हूं अडवानिया... अरावली पर्वत श्रृंखला की गोद में बसा एक छोटा-सा गांव। कभी मेरी पहचान गरीबी और तंगहाली से थी। रात को लोग घरों से बाहर निकलने से डरते थे, क्योंकि लूटपाट जैसी घटनाएं बहुत होती थीं। अभावों से घिरा मैं एक गांव था पर कुछ साल पहले मेरी किस्मत ने पलटी मारी। केदारेश्वर को प्रसिद्धि मिली तो पानी के इंतजाम होने से फसलें अच्छी होने लगीं। यही अब पर्यटकों के लिए आकर्षण बन चुका है और अब लोग मुझे देखने आते हैं। बस यहीं से मेरी पहचान बन गई अडवानिया के केदारेश्वर। मेरे लोग अब बेरोजगार नहीं हैं। दिनभर में सैकड़ों पर्यटक यहां आते हैं। छोटी-छोटी दुकानों में ग्रामीण बाजार ने सबको काम दे दिया। अब सिर्फ गांव नहीं, एक पर्यटन स्थल हूं।

रतलाम सहित दूर-दूर से आने लगे हैं पर्यटक

गांव के नागूलाल पाटीदार (ओरा) 92 वर्ष बताते हैं कि केदारेश्वर मंदिर 350 साल पुराना है। इसका निर्माण सैलाना रियासत के तत्कालीन महाराजा जयसिंह राठौर ने करवाया था। कई वर्षों तक रास्ता ठीक न होने के कारण लोग कम ही आते थे। अब सड़क बन जाने से लोग झरने का आनंद लेने के साथ ही महादेव के दर्शन करने उमड़ रहे हैं। अब रतलाम समेत दूरदराज से भी पर्यटक दर्शन करने आने लगे हैं। पंचायत के मुताबिक मुख्य मार्ग से मंदिर तक जाने वाला रास्ता बहुत जर्जर होने कारण तत्कालीन गृहमंत्री हिम्मत कोठारी के प्रयास से 2007 में नया बना है। यहां साल में दो बार कार्तिक व वैशाख पूर्णिमा पर सांस्कृतिक मेले का आयोजन होता है। शिवरात्रि के साथ सावन के माह श्रद्धालुओं का जमावड़ा रहता है। अनोखा दृश्य... बारिश के समय में पानी ऊंचाई से कुंड में गिरता है। पहाड़ी पर हरियाली से नजर मिलती है तो लोगों के चेहरे पर के पूरे मुस्कान खिलती है।

किसान कर रहे हैं 5 साल से मुनाफे की खेती

ग्राम पंचायत अडवानिया में ग्राम धभाई खेड़ी, गोवर्धनपुरा और मीठी मां की खेड़ी भी शामिल है। गांव में सबसे अधिक पाटीदार व आदिवासी समाज के लोग निवास करते हैं। गांव के किसानों का कहना है कि पारम्परिक खेती के अलावा 5 साल से मुनाफे की खेती शुरू की है। इसमें अश्वगंधा, अशोक गल व चिया सीड्स प्रमुख रूप से हैं। नीमच मंडी में अच्छे भाव मिलने से किसानों ने इनकी बोवनी का रकबा बढ़ाने का निर्णय लिया है।