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MP Kisan Yojana : एमपी सरकार की यह योजना किसानों को बना देगी मालामाल, 35 प्रतिशत मिलेगी सब्सिडी 

गांवों और स्थानीय स्तर पर भी फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की जा सकती हैं। संतरे के लिए बनाई जाने वाली फूड प्रोसेसिंग यूनिट पर करीब 35 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी।

 

मध्यप्रदेश में किसानों को अपनी उपज की बेहतर कीमत दिलाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने शासन स्तर पर योजनाएं शुरू की गई हैं। इसके तहत जिन चीजों का उत्पादन किसान करते हैं, उन्हीं की प्रोसेसिंग कर अत्याधुनिक तरीके से किसान प्रगति कर सकते हैं। अब गांवों और स्थानीय स्तर पर भी फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की जा सकती हैं।

संतरे के लिए बनाई जाने वाली फूड प्रोसेसिंग यूनिट पर करीब 35 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी। किसान खुद की जमीन पर यह यूनिट लगा सकेंगे। यहां पैदा होने वाले संतरे से उत्पाद बना सकेंगे। वर्तमान में किसानों के पास संतरे को बाहरी व्यापारियों को बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। खिलचीपुर, जीरापुर में छोटी प्रोसेसिंग यूनिट तो हैं, लेकिन बड़ी यूनिट कहीं नहीं। ब्यावरा में फूड क्लस्टर यूनिट अधर में है।

छोटी यूनिट में 10 लाख तक छूट, बड़ी में 30 प्रतिशत

ऑटोमेटिक मोड वाली अत्याधुनिक प्रोसेसिंग यूनिट पर 35 प्रतिशत तक की छूट है। करीब तीन करोड़ तक का प्रावधान इसमें है। 10 से 12 किसान समूह बनाकर इसे ले सकते हैं और यूनिट स्थापित कर सकते हैं। यदि तीन करोड़ की यूनिट लगाई तो 35 प्रतिशत के हिसाब से लगभग एक करोड़ पांच लाख की सब्सिडी मिलेगी। 30 लाख तक की छोटी यूनिट एक किसान लगा सकता है। इसमें 10 लाख तक की छूट है।

दो सीजन में काम होने से किसान हट रहे पीछे

जिले में संतरे की बम्पर पैदावार होती है, लेकिन दो ही सीजन में यह काम होने से किसान पीछे हट जाते हैं। यानी बरसाती और गर्मी के संतरे आते हैं। अधिकतम सीजन तीन माह का होता है, बाकी समय कोल्ड स्टोरेज की जरूरत होती है। हालांकि विभागीय अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि जब बड़ी कंपनियों से टाईअप हो जाता है तो उनके हिसाब से सालभर माल (सामग्री) की आवाजाही होती है।

ऑटोमेटिक मशीन में बनेंगे तरह-तरह के उत्पाद

सहित अन्य उत्पाद शामिल हैं। स्थानीय स्तर पर यूनिट स्थापित ऑटोमेटिक फूड प्रोसेसिंग यूनिट में संतरे के माध्यम से कई उत्पाद बनेंगे। इसमें कैंडी, जूस, पाउडर, पल्प, छिलके की बर्फी होने के बाद राष्ट्रीय कंपनियों से टाईअप किया जा सकता है।

यानी जूस के लिए सीधा संपर्क और कैंडी सहित अन्य उत्पादों को ऐसी पहले से प्रचलित कंपनियों को दिया जा सकता है। इससे संतरे के विभिन्न उत्पादों की अलग-अलग कीमत स्थानीय स्तर पर ही किसानों को मिलने लगेगी। उद्यानिकी उप संचालक वीरेंद्र मीना के अनुसार प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना केतहत सब्सिडी का लाभ किसान ले सकते हैं।