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ज्यादातर जहरीले सांप रात में काटते हैं, देर न करें अस्पताल जाने में

 

Tikamgarh News: जिला अस्पताल टीकमगढ़ में इन दिनों सांप के काटने के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। रविवार सुबह ही आधे घंटे में तीन मरीज पहुंचे। डॉक्टरों के अनुसार रोजाना औसतन 5 से 6 केस आ रहे हैं। जिले की परिधि करीब 50 किलोमीटर है और हर ब्लॉक में अस्पताल हैं। वहां प्राथमिक इलाज के बाद मरीजों को जिला अस्पताल भेजा जाता है। ब्लॉक स्तर पर इंजेक्शन भी उपलब्ध हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि सर्पदंश के बाद एक से डेढ़ घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचना सबसे सही समय होता है। यदि मरीज जल्दी अस्पताल पहुंच जाए तो जान बचाना आसान होता है। बांधने या चीरा लगाने जैसी परंपरागत विधियां खतरनाक हैं। इससे जहर फैल सकता है और कई बार गैंगरीन भी हो जाता है।

डॉ. अजीत जैन के अनुसार जिले में चार प्रकार के जहरीले सांप पाए जाते हैं—क्रेक (स्थानीय नाम गणेता), कोबरा, पिट वाइपर और रसेल वाइपर। इनमें से ज्यादातर जहरीले सांप रात में ही काटते हैं। दिन में काटने की घटनाएं कम होती हैं और वे अधिकतर नॉन प्वाइजनस होते हैं। रात को सोते समय सांप के काटने की संभावना ज्यादा रहती है और उस समय जहरीले होने के चांस 99 प्रतिशत तक रहते हैं।

क्रेक के काटने पर कई बार मरीज को पता भी नहीं चलता। शरीर सुन्न हो जाता है, नींद आने लगती है और गले या सीने में दर्द महसूस होता है। वहीं, रसेल वाइपर और पिट वाइपर के काटने पर सूजन और निशान साफ दिखाई देते हैं। ऐसे मामलों में डॉक्टर पहचान कर तुरंत इलाज शुरू कर देते हैं।

जहरीले सांप के काटने पर शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। अस्पताल में जांच के बाद यदि जहरीले सांप के लक्षण दिखते हैं तो मरीज को कॉलीवैलेंट एंटी स्नेक वेनम दिया जाता है। यह दवा सभी चारों प्रकार के जहरीले सांपों पर असर करती है। सबसे जरूरी है कि मरीज को तुरंत अस्पताल पहुंचाया जाए। इलाज में थोड़ी भी देरी जानलेवा हो सकती है।

डॉक्टरों का कहना है कि जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है। लोग यदि समय बर्बाद किए बिना सीधे अस्पताल जाएं तो एंटी स्नेक वेनम सही समय पर असर दिखाता है और मरीज की जान बच सकती है। जहर शरीर में फैल जाने के बाद इलाज बेअसर हो सकता है, इसलिए समय पर इलाज ही जीवन रक्षा का सबसे बड़ा उपाय है।