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मक्का का रकबा बढ़ा, यूरिया की मांग उछली – वितरण केंद्रों पर किसानों की भीड़

 

Burhanpur News: इस साल खरीफ सीजन में मक्का की खेती बढ़ने से यूरिया की खपत अचानक बढ़ गई है। जिले में पिछले साल की तुलना में इस बार करीब दो हजार मीट्रिक टन अधिक यूरिया की खपत हो चुकी है। फिर भी खाद वितरण केंद्रों पर किसानों की लंबी कतारें बनी हुई हैं।

क्यों बढ़ी मांग?

कृषि विभाग के मुताबिक इस साल जिले में करीब 3.25 लाख हेक्टेयर में खरीफ की बोवनी हुई है। इसमें सोयाबीन और मक्का प्रमुख फसलें हैं। आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की तुलना में मक्का का रकबा लगभग 40% बढ़ा है, जबकि सोयाबीन का रकबा उतना ही घट गया।
मक्का में यूरिया का उपयोग अधिक होता है, इसलिए मांग भी अचानक बढ़ गई है। सोयाबीन में प्रति एकड़ सिर्फ एक बोरी यूरिया की जरूरत पड़ती है, वहीं मक्का के लिए औसतन चार बोरियां लगती हैं। कई किसान सोयाबीन में यूरिया का इस्तेमाल भी नहीं करते।

खाद वितरण का हाल

विपणन संघ के रिकॉर्ड के मुताबिक, खरीफ सीजन में पहली बार यूरिया की मांग इतनी अधिक दर्ज की गई है। किसानों की प्राथमिकता अब यूरिया है, जबकि डीएपी, पोटाश और एनपीके की मांग तुलनात्मक रूप से कम है।

पिछले साल और इस साल का वितरण (मीट्रिक टन में)

यूरिया – 11,928 से बढ़कर 14,217

सुपर फॉस्फेट – 5,702 से घटकर 5,194

एनपीके – 2,998 से घटकर 1,061

पोटाश – 1,058 के आसपास स्थिर

यानी यूरिया का वितरण लगातार बढ़ रहा है, जबकि दूसरी खादों का उपयोग घटता दिखाई दे रहा है।

मक्का और सोयाबीन का संतुलन बदला

पिछले साल मक्का का रकबा 30 हजार हेक्टेयर था, जो इस बार बढ़कर 50 हजार हेक्टेयर हो गया है। वहीं सोयाबीन का रकबा 2.10 लाख हेक्टेयर से घटकर 1.90 लाख हेक्टेयर पर आ गया। इस बदलाव ने खाद की खपत का पूरा समीकरण बदल दिया है।

किसानों की भीड़ और कारण

वितरण केंद्रों पर किसानों की भीड़ यह संकेत देती है कि कई लोग सिर्फ खरीफ फसल के लिए ही नहीं, बल्कि रबी सीजन को ध्यान में रखकर भी खाद जमा कर रहे हैं। अधिकारी भी मानते हैं कि मांग लगातार बनी रहने का एक कारण यह है कि किसान भविष्य के लिए यूरिया का स्टॉक बना रहे हैं।

स्थिति पर अफसरों की प्रतिक्रिया

विपणन विभाग का कहना है कि यूरिया की सप्लाई लगातार हो रही है। खाद की रैंक आने पर तुरंत किसानों को वितरण किया जा रहा है। फिर भी अचानक बढ़ी मांग ने केंद्रों पर दबाव बढ़ा दिया है।