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मध्यप्रदेश सरकार ने दी किसान मिशन को मंजूरी, पशुपालन, अन्न उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा

मध्यप्रदेश सरकार ने दी किसान मिशन को मंजूरी, पशुपालन, अन्न उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा
 

 Madhya Pradesh:किसानों की आय बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने मध्यप्रदेश किसान मिशन योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत कृ​षि के साथ-साथ पशुपालन को भी बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अलावा अन्न उत्पादन को बढ़ाना भी इस योजना का लक्ष्य होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। 


कैबिनेट बैठक के बाद नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि मध्यप्रदेश किसान मिशन सरकार की एक दूरदर्शी पहल है। इस योजना के तहत किसानों की आय बढ़ाने का संकल्प किया गया है। इससे मध्यप्रदेश में कृ​षि को एक मजबूती मिलेगी। विजयवर्गीय ने कहा कि वर्ष 2003 की तुलना में कृ​षि उत्पादन में लगभग 200 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस समय कृ​षि विकास दर 3 प्रतिशत से बढ़कर 9.8 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

उन्होंने कहा कि इस नई योजना के तहत किसान कल्याण, बागवानी, पशुपालन, डेयरी, मछली पालन, सहकारिता, खाद्य नागरिक आपूर्ति समेत अनेक विभाग आपस में तालमेल करके किसानों के लिए अनेक योजनाएं लागू करेंगे। इन सभी विभागों के उच्च अ​धिकारियों की एक कमेटी गठित की गई है। इसकी अध्यक्षता खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करेंगे।


जैविक खेती को भी दिया जाएगा बढ़ावा 
विजयवर्गीय ने कहा कि इस योजना के तहत जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। आदिवासी महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों को आ​र्थिक लाभ पहुंचाया जाएगा। सरकार पारंपरिक खेती के संरक्षण को भी बढ़ावा दे रही है। इसके अलावा जैविक और सस्टेनेबल खेती को अपनाने की ​दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य के 50 प्रतिशत से अ​धिक गांव अब दुध उत्पादन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इससे लोगों की आय भी बढ़ रही है। सरकार का उद्देश्य है कि गोपालक और पशुपालक किसानों की आय दोगुनी होनी चाहिए। 


मे​डिकल कॉलेज में नए पद सृजित
कैबिनेट की बैठक में सरकार ने स्वास्थ्य को लेकर भी महत्पूर्ण फैसले लिए। भापोल में ​स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज में पीडियाट्रिक, कार्डियोलॉजी, न्यूरोलाॅजी और न्यूरोपेडियाट्रिक्स विभाग के लिए 12 नए पद स्वीकृत किए गए हैं। बच्चों के चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने का उद्देश्य नवजात मृत्यु दर को कम करना है। इसके बाद धीरे-धीरे यह कदम दूसरे मेडिकल कॉलेजों के लिए भी लागू किया जाएगा।