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छह साल बाद भी अधर में जटाशंकर धाम रोप-वे, टेंडर प्रक्रिया फिर शुरू

 

Chhatarpur News: बिजावर क्षेत्र के जटाशंकर धाम में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रोप-वे निर्माण की घोषणा 2019 में की गई थी। यह परियोजना मंदिर तक पहुँच आसान बनाने के उद्देश्य से उठाया गया कदम ताकि खासकर बुजुर्ग, महिलाएँ और बच्चे खड़ी चढ़ाई से मुक्त होकर मंदिर तक जा सकें। कई घोषणाओं और कागजी प्रक्रियाओं के बावजूद निर्माण कार्य अब तक शुरू नहीं हो सका है और परियोजना में बार-बार देरी दर्ज की गई है।

अक्टूबर 2023 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने वर्चुअल भूमि पूजन भी किया था, पर जिस कंपनी को ठेका दिया गया था उसने बाद में काम से पीछे हटने का निर्णय लिया। परियोजना का प्रबंधन मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम कर रहा है। प्रारंभिक ठेका रोप-वे इन रिसॉर्ट, कोलकाता को मिला था, जो पीपीपी मोड पर अपनी लागत से रोप-वे स्थापित कर संचालित करनी थी। परियोजना क्षेत्र में कुछ हिस्से वन भूमि के अंतर्गत आते हैं, इसलिए वन विभाग से जमीन हस्तांतरण और केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से अनुमति की प्रक्रियाएँ लंबित रहीं।

मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम ने परियोजना का सर्वे कराया और जनवरी 2024 में पर्यावरण तथा वन संबंधी स्वीकृतियाँ प्राप्त हुईं। बावजूद इसके ठेकेदारों की रुचि कम रही; 2023 से पहले निकाले गए टेंडरों में किसी भी कंपनी ने भाग नहीं लिया। बाद में जिस कंपनी को अनुबंधित किया गया था, उसके ठेकेदार ने अंतिम समय में काम शुरू करने से इन्कार कर दिया, जिससे परियोजना में एक साल की और देरी हुई। उस अनुबंध के अनुसार कंपनी को अप्रैल 2025 तक रोप-वे पूरा करना था।

अब तीसरी बार टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है और इस बार मुंबई की एक कंपनी ने बोली लगाई है। समझौते के मुताबिक परियोजना की कुल अनुमानित लागत 11 करोड़ रुपये तय की गई है तथा उसी निजी कंपनी को अगले 30 वर्षों तक संचालन का अधिकार दिया जाएगा। प्रस्तावित संरचना में कुल तीन टावर होंगे — पहला 9 मीटर, दूसरा 25 मीटर और तीसरा 10 मीटर ऊँचा। रोप-वे में कुल 22 केबिन रखे जाने का प्रावधान है और प्रत्येक केबिन में अधिकतम चार यात्री बैठ सकेंगे। यह रोप-वे पहले चरण में बस स्टैंड परिसर से मुनि कुंड तक लगाया जाएगा और एक बार में 88 यात्रियों को ऊपर पहुँचाने की क्षमता रहेगी। लंबाई लगभग 470 मीटर और ऊँचाई अनुमानित 56 मीटर बताई जा रही है।

निर्माण से संबंधित सभी विभागीय स्वीकृतियाँ पहले ही मिल चुकी हैं, अतः अब प्रक्रिया केवल टेंडर पूरी कर ठेकेदार से अनुबंध करने और काम शुरू कराने की है। विभाग का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया कुछ ही दिनों में पूरी कर ली जाएगी और उसके बाद प्रत्यक्ष निर्माण कार्य शुरू होगा। हालांकि पिछली बार के अनुभवों के बाद स्थानीय हितधारक और श्रद्धालु परियोजना के समयबद्ध कार्यान्वयन को लेकर आशंकित हैं। उन्होंने पारदर्शिता, ठेकेदार की योग्यता और स्थानीय पर्यावरण तथा वनभूमि से संबंधित शर्तों का पालन सुनिश्चित करने की मांग की है।

स्थानीय प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि नए ठेकेदार के चयन में पिछली गलतियों से सबक लेकर पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाएगी और सुरक्षा मानकों का पालन होगा।