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300 किमी बाद ऑफ रोड हो रहीं जननी एक्सप्रेस, मरीजों को लेना पड़ रहा निजी वाहन

 

Tikamgarh News: टीकमगढ़ जिले में जननी एक्सप्रेस सेवा की नई व्यवस्था ने मरीजों की परेशानी बढ़ा दी है। अब एक एंबुलेंस को 24 घंटे में केवल 300 किलोमीटर चलाया जा रहा है। जैसे ही यह दूरी पूरी होती है, वाहन को ऑफ रोड कर दिया जाता है और कॉल देना बंद कर दिया जाता है। भले ही एंबुलेंस अस्पताल परिसर में खड़ी हो, उसे जरूरतमंद मरीजों के लिए नहीं भेजा जा रहा।

घुवारा क्षेत्र की प्रसूता रूपेश अहिरवार को अस्पताल से छुट्टी मिलने पर परिजनों ने एंबुलेंस के लिए कॉल किया, लेकिन उन्हें यह कहकर मना कर दिया गया कि गाड़ी 300 किमी चल चुकी है। जबकि एंबुलेंस वहीं खड़ी थी। दो घंटे इंतजार के बाद परिजन 2500 रुपये में प्राइवेट वाहन करके मरीज को घर ले गए।

ऐसे ही सरकर गांव की पूनम रैकवार को भी दिन में छुट्टी मिली, लेकिन जननी एक्सप्रेस रात 8:30 बजे पहुंची, जिससे वह करीब 10 बजे घर पहुंच सकीं। बल्देवगढ़ की पूजा अहिरवार को भी अस्पताल से छुट्टी के बाद एंबुलेंस के लिए साढ़े तीन घंटे इंतजार करना पड़ा।

यह व्यवस्था एंबुलेंस भुगतान घोटाले के आरोपों के बाद लागू की गई है, लेकिन इसका सीधा असर प्रसूताओं पर पड़ रहा है। खास बात यह है कि जिले में जय अंबे कंपनी की 20 बीएलएस एंबुलेंस पर यह पाबंदी नहीं है, जबकि अन्य 23 जननी एक्सप्रेस पर 300 किमी की सीमा लागू है। इस दोहरी नीति से लोगों में नाराजगी है।

प्रबंधन का कहना है कि जरूरत होने पर हेल्पडेस्क के जरिए कॉल दी जाएगी, लेकिन जमीनी स्तर पर मरीजों को परेशानी हो रही है। अब अधिकारी इस व्यवस्था की समीक्षा कर विभाग और कंपनी को पत्र लिखने की बात कह रहे हैं, ताकि मरीजों को समय पर सेवा मिल सके।