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यूरिया वितरण में गड़बड़ी, कई दुकानदारों पर कार्रवाई की तैयारी

 

Chhatarpur News: जिले में खरीफ सीजन के दौरान यूरिया वितरण में बड़े स्तर पर गड़बड़ी सामने आई है। कृषि विभाग की जांच में पता चला कि पिछले साल की तुलना में इस बार बोवनी आधी से भी कम हुई, लेकिन यूरिया की खपत दोगुनी दर्ज की गई। इससे प्रशासन को कालाबाजारी की आशंका हुई।

रिकॉर्ड के अनुसार, 1 अप्रैल से 15 जुलाई 2024 तक किसानों को 315 टन यूरिया वितरित हुआ था। जबकि इसी अवधि में 2025 में 602 टन बिक्री दर्ज हुई। खास बात यह रही कि पिछले साल जिले में 2.31 लाख हेक्टेयर बोवनी के बावजूद केवल 315 टन खाद की खपत हुई थी, वहीं इस साल सामान्य से 80% बारिश होने के बावजूद बोवनी घटकर 47% पर आ गई और खपत 602 टन तक पहुंच गई।

जांच में पाया गया कि प्राइवेट दुकानदारों ने पीओएस मशीन से किसानों को खाद वितरण दिखाकर उसे खुले बाजार में बेचा। दिगौड़ा की सोनी ट्रेडर्स ने 224 बोरी वितरण दर्ज किया, लेकिन 200 बोरी किसानों तक पहुंची ही नहीं। इसी तरह पलेरा की ओम साईं राम ट्रेडर्स ने 434, आशीष ट्रेडिंग कंपनी ने 45 और शिव खाद बीज भंडार ने 220 बोरियों की हेराफेरी की। इनमें से सोनी ट्रेडर्स पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है, जबकि बाकी तीन पर कार्रवाई लंबित है।

जांच टीम ने किसानों से भी बयान लिए। 36 किसानों ने साफ कहा कि उन्हें खाद की एक भी बोरी नहीं मिली, जबकि दो किसानों ने कम खाद मिलने की शिकायत की। इस आधार पर सोनी ट्रेडर्स के संचालक अंकित सोनी पर आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

एसएडीओ पलेरा रमाकांत लोधी ने पुष्टि की कि जांच प्रतिवेदन और कृषकों की सूची से गड़बड़ी सिद्ध हुई है। विस्तृत जांच पूरी होते ही बाकी दुकानदारों पर भी एफआईआर दर्ज की जाएगी।

अब तक दिगौड़ा और पलेरा के चार दुकानदारों द्वारा 919 बोरियों की कालाबाजारी सामने आ चुकी है। जिले में 55 खाद विक्रेता हैं और इस बार पिछले साल की तुलना में 287 टन अधिक यूरिया बिकना प्रशासन के लिए बड़ा सवाल बन गया है। कृषि विभाग और प्रशासन यह भी जांच कर रहा है कि अवैध यूरिया किन चैनलों तक पहुंचा और इसमें और कौन लोग शामिल हैं। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।