पठा ग्राम में मनरेगा तालाब निर्माण में गड़बड़ी, अन्य पंचायतों में भी कमियां
Tikamgarh News: टीकमगढ़ जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत पठा में मनरेगा योजना के तहत बनाए गए आमनझोर तालाब निर्माण में गंभीर गड़बड़ी सामने आई है। तालाब का निर्माण बिना तकनीकी स्वीकृति और इंजीनियर के निरीक्षण के ही करवा लिया गया, जबकि बाद में पोर्टल पर मस्टर रोल और सामग्री पर ₹10.47 लाख खर्च दर्ज किया गया। उपयंत्री के अलग-अलग विरोधाभासी जवाबों से मनरेगा में मनमानी उजागर हो रही है।
जानकारी के अनुसार पठा निवासी हरिओम शुक्ला ने 14 अगस्त को सीईओ जनपद पंचायत को गलत तरीके से मस्टर डालने की शिकायत की। सीईओ के निर्देश पर सहायक यंत्री ने जांच की। इसमें पाया गया कि 6 जून 2025 से 18 जुलाई 2025 तक मजदूरी पर 7,28,451 रुपए और सामग्री पर 3,18,914 रुपए कुल 10,47,365 रुपए व्यय पोर्टल पर दर्ज किया गया। जांच में स्पष्ट हुआ कि तालाब निर्माण शासकीय भूमि पर हो रहा है, लेकिन शिकायतकर्ता की भूमि के पास कार्य किया गया।
निर्माण बिना तकनीकी मार्गदर्शन और इंजीनियर निरीक्षण के हुआ, जबकि मजदूरों को रोजगार दिए बिना मस्टर जारी किए गए। सहायक यंत्री और उपयंत्री ने ही भुगतान के बिल सत्यापित किए।
समान गड़बड़ियां अन्य पंचायतों में भी पाई गई हैं। कांटीखास में सीसी रोड निर्माण मापदंडों के अनुसार नहीं हुआ। निरीक्षण में पाया गया कि कांक्रीट गेंती से निकल रही है और रोड की मोटाई केवल 6-7 सेमी है, जबकि निर्धारित मोटाई 10 सेमी थी। सूंडाधर्मपुरा और अजनौर ग्राम पंचायतों में भी निर्माण कार्यों में कमियां देखने को मिली हैं।
जनपद पंचायत ने पठा तालाब निर्माण मामले में संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। अजनौर में 14 लाख रुपए की रिकवरी की जाएगी। सूंडाधर्मपुरा और कांटीखास में नोटिस देकर जवाब लिया जाएगा, उसके बाद नियमानुसार कार्रवाई प्रस्तावित है।
अधिकारियों ने बताया कि सुंदरपुर में बिना उपयंत्री और सहायक यंत्री की जानकारी के गुणवत्ताहीन सीसी रोड बनाई गई। अंतौरा में बिना सचिव, उपयंत्री और सहायक यंत्री की जानकारी सीसी रोड और पुलिया का निर्माण गुणवत्ताहीन हुआ। बहादुरपूर में निजी भूमि पर रोड निर्माण किया गया और दरगुवां में बिना कार्य के खेत तालाब की राशि आहरित की गई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसे निर्माण कार्यों में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित नहीं की जा रही। पूर्व शिकायतों और निरीक्षण के बावजूद कार्यों में सुधार नहीं हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि अब रिकवरी और सुधारात्मक कार्रवाई के लिए कदम उठाए जाएंगे, ताकि भविष्य में योजना की धनराशि का दुरुपयोग न हो और गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।
इस प्रकार पठा और आसपास की पंचायतों में मनरेगा कार्यों में गड़बड़ी, तकनीकी निरीक्षण की अनदेखी और रिकॉर्ड में विरोधाभासी प्रविष्टियां योजना की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रही हैं।