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बेतवा नदी बचाने की पहल: उद्गम स्थल पर निरीक्षण और 11.22 करोड़ की योजना

 

Chhatarpur News: एनजीटी के निर्देश पर शनिवार को एक संयुक्त समिति ने रायसेन जिले के झिरी-बेतवा उद्गम क्षेत्र का निरीक्षण किया। उद्देश्य स्थल की स्थिति का आकलन कर नदी के संरक्षण के व्यावहारिक उपाय तय करना था। समिति ने बेतवा के संरक्षण के लिए कुल 11.22 करोड़ रुपये की एक योजना पर सहमति दी, जिसमें भूजल रिचार्ज सिस्टम, कंटूर ट्रेचिंग और अतिक्रमण हटाने जैसे कदम शामिल हैं।

केंद्रीय और राज्य स्तरीय तकनीकी विशेषज्ञ तथा वन व पर्यावरण विभाग के अधिकारी बैठक में मौजूद रहे। निरीक्षण के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि ओरछा क्षेत्र से कुछ स्थानों पर सीवेज और औद्योगिक अपशिष्ट बेतवा में मिल रहे हैं; इसलिए विदिशा व निवाड़ी जिले के प्रशासन को भी अगली सुनवाई में पक्षकार बनाने की सिफारिश की जाएगी ताकि प्रदूषण के स्रोतों की पहचान की जा सके।

योजना के तहत मल्टी-लेयर रिचार्ज सिस्टम और कंटूर ट्रेचिंग लागू किए जाएँगे तथा उद्गम स्थल के आसपास अतिक्रमण हटाया जाएगा। वन विभाग ने डीपीआर तैयार कर दी है और बजट स्वीकृति के लिए फाइल भेजी जाएगी। चूँकि स्थल रातापानी टाइगर जोन में आता है, पारंपरिक बड़े पैमाने पर पौधरोपण संभव नहीं; विशेष अनुमति लेकर नीम, बबूल, करंज और अर्जुन जैसी स्थानीय गहरी जड़ वाली प्रजातियाँ सीमित क्षेत्रों में रोपी जाएँगी।

उद्गम स्थल तक वाहनों के प्रवेश को रोकने के लिये गेट व बाउंड्री बनाए जाने तथा नदी में मिल रहे औद्योगिक नालों की मॉनिटरिंग तेज करने पर भी सहमति बनी। समिति ने पुराने आदेशों को लागू कराने और नालों के डायरेक्ट कनेक्शन काटने की प्राथमिकता जताई।

समिति ने स्थानीय समुदाय की भागीदारी पर बल देते हुए कहा कि जागरूकता अभियान, साफ-सफाई ड्राइव और नदियों के किनारों पर चेतावनी पट्टिकाएँ लगाई जाएँ। साथ ही हर तीन महीने में प्रगति की समीक्षा के लिये एक तकनीकी टास्क फोर्स बनाई जाएगी। फंड और कार्यान्वयन के लिये जिलों के समन्वय तेज करने की बात कही गई।

स्थानीय प्रशासन और संबंधित विभाग अब इन अनुशंसाओं को लागू करने के लिये कार्रवाई आरम्भ करेंगे ताकि बेतवा नदी के स्रोतों की सुरक्षा हो सके और सतत जल संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।