Movie prime

कुत्तों की बढ़ती आक्रामकता, बच्चों और पशुओं के लिए खतरा

 

Bina News: नगर में आवारा और पाले गए कुत्तों की संख्या बढ़ने से आक्रामकता में भी इजाफा हुआ है। कुत्ते झुंड बनाकर हमला कर देते हैं, जिससे छोटे बच्चे, गाय-बछड़े और राहगीर सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। घरों में पाले गए कुत्तों और आवारा कुत्तों के बीच संघर्ष भी देखने को मिलता है, जिससे वे आक्रामक होकर काट लेते हैं।

सिविल अस्पताल के आंकड़ों के अनुसार, इस साल जनवरी से अब तक 425 लोगों को कुत्तों ने काटा है। केवल सितंबर के पहले तीन दिनों में ही 26 मामले दर्ज हुए हैं। पिछले साल इसी अवधि में 432 काटने के मामले सामने आए थे। आंकड़े बताते हैं कि जून, जुलाई और अगस्त में सबसे अधिक मामले दर्ज हुए।

स्थानीय लोगों ने भी कुत्तों के हमलों के कई उदाहरण साझा किए। कुछ बच्चों को कुत्तों ने सड़क पर और घर के पास काटा। कई परिवारों ने रैबीज से अपने बच्चों को खो दिया। ऐसे हादसे बताते हैं कि लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और प्रशासन को कुत्तों की बढ़ती संख्या और आक्रामकता पर नियंत्रण रखना जरूरी है।

पशु चिकित्सक बताते हैं कि बारिश, बिजली चमकने और मौसम में बदलाव के कारण कुत्ते डर के मारे आक्रामक हो जाते हैं। साथ ही, यह उनका प्रजनन काल भी होता है, जब वे झुंड में घूमते हैं और आपस में या मनुष्यों पर हमला कर देते हैं। इस समय उनसे दूरी बनाए रखना सुरक्षित रहता है।

सिविल अस्पताल में रैबीज के इंजेक्शन उपलब्ध हैं और उन्हें नियमित रूप से लगाया जा रहा है। किसी भी काटने की घटना में 15–20 मिनट तक घाव को पानी में धोना और तुरंत अस्पताल आकर वैक्सीन लगवाना अनिवार्य है। घाव को ढंकना या घरेलू उपाय करना सुरक्षित नहीं है।

कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां कुत्तों के झुंड अक्सर दिखाई देते हैं। इनमें मुख्य सड़क, स्कूल और अस्पताल के आसपास के इलाके शामिल हैं। स्थानीय प्रशासन ने कुत्तों की नसबंदी, आक्रामक कुत्तों की पहचान और पकड़ने की व्यवस्था शुरू की है। हालांकि, कई बार पकड़े गए कुत्ते गंध के सहारे लौट आते हैं।

इस स्थिति में नागरिकों को सावधानी बरतनी चाहिए। बच्चों को अकेले बाहर न भेजें, खुले स्थानों पर कुत्तों के लिए भोजन न डालें और जानवरों के पास जाने से बचें। प्रशासन और लोगों के सहयोग से ही कुत्तों के काटने के मामलों में कमी लाई जा सकती है और रैबीज जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाव संभव है।