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हनुमान मंदिर की आस्था और कृषि में आत्मनिर्भरता का उदाहरण

 

Chhatarpur News: निवाड़ी जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर स्थित गैलवारा गांव प्राचीन और आध्यात्मिक महत्व का केंद्र है। प्राचीन काल में इसे 'गेल' कहा जाता था, क्योंकि लोग इसी मार्ग से आते-जाते थे। बाद में इसका नाम गैलवारा पड़ गया।

स्थानीय बुजुर्गों और मंदिर के पुजारी के अनुसार, जब भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापना के लिए लायी जा रही थी, तब भक्तों ने इसी स्थल में विश्राम किया। इस दौरान हनुमान जी के पावन अवशेष वहीं रह गए, जिन्हें बाद में गांव वालों ने संभालकर मंदिर का निर्माण कराया। आज यह हनुमान मंदिर आसपास के कई गांवों के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन चुका है। शनिवार और मंगलवार को विशेष रूप से यहां भारी संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं। मंदिर परिसर में राधा-कृष्ण की सुंदर मूर्तियां भी स्थापित हैं, जो इसे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संगम का प्रतीक बनाती हैं।

गैलवारा के लगभग सभी परिवारों के पास अपनी खेती की जमीन है। ग्रामीण गेहूं और मूंगफली की खेती करते हैं और इसी से अपनी आजीविका चलाते हैं। पशुपालन भी यहां की आय का प्रमुख स्रोत है। गांव की जनसंख्या लगभग 3,500 है और साक्षरता दर 90 प्रतिशत है। जिला मुख्यालय से दूरी 15 किमी है, जबकि हाइवे से कनेक्टिविटी 7 किमी है।यह गांव न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि आत्मनिर्भरता का भी उदाहरण है। यहां की खेती और पशुपालन ग्रामीणों की आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करते हैं और गैलवारा को धार्मिक और कृषि दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण बनाते हैं।