छतरपुर में कचरा प्रसंस्करण मशीनें खड़ी, प्रशिक्षित कर्मी न होने से संचालन ठप
Chhatarpur News: छतरपुर नगर पालिका ने स्वच्छता रैंकिंग सुधारने के लिए करीब 40 लाख रुपए की लागत से सात कचरा प्रसंस्करण मशीनें खरीदीं। लेकिन प्रशिक्षित ऑपरेटर और सफाई कर्मचारियों की कमी के कारण ये मशीनें अब तक बंद पड़ी हैं। कचरा प्रबंधन के नाम पर खरीदी गई ये मशीनें शोपीस बनकर रह गई हैं।
स्वच्छ सर्वेक्षण में कचरा प्रसंस्करण केंद्रों की भूमिका बहुत अहम होती है। यहां कचरे को छांटकर और पुनर्चक्रण कर निपटाया जाता है। जिले के कई नगरीय निकायों ने केंद्रों के संचालन के लिए पैसे खर्च किए हैं, लेकिन उनकी सही तरह से देखरेख नहीं हो रही है। कई मशीनों का गारंटी पीरियड खत्म हो चुका है, जबकि कुछ मशीनें अभी तक इंस्टॉल भी नहीं हुई हैं। खराब होने पर उनका खर्च भी नगर निकायों को उठाना होगा।
छतरपुर के पन्ना रोड स्थित कचरा प्रसंस्करण केंद्र की मशीनें अक्सर बंद रहती हैं। यहां बेलिंग प्रेस, प्रिंडल, हाइड्रोलिक मशीनें खरीदी गईं, जो अलग-अलग तरह के कचरे को संसाधित करती हैं, लेकिन ये मशीनें ज्यादातर समय उपयोग में नहीं हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान बाहर से ऑपरेटर बुलाकर मशीनें चलाई गईं, लेकिन सर्वे के बाद बंद कर दी गईं।
नगर पालिका के कई प्लांट जैसे एमआरएफ केंद्र, जैविक कंपोस्टिंग और प्लास्टिक रीसाइक्लिंग प्लांट भी बनाए गए हैं, लेकिन उनकी भी संचालन स्थिति बेहतर नहीं है। मशीनें चलती रहें तो कचरे का सही प्रबंधन हो सकेगा, जिससे स्वच्छता में सुधार होगा।
नौगांव नगर पालिका ने भी दो बार मशीनें खरीदीं, लेकिन संचालन के अभाव में शहर के ट्रेंचिंग ग्राउंड के आस-पास कचरे के ढेर लगे हैं। यहां केवल दो कर्मचारी नियुक्त हैं और मशीनें धूल फांक रही हैं।
लवकुशनगर में तीन साल पहले बनाए गए कचरा केंद्र में भी अभी तक संचालन शुरू नहीं हुआ है। नगर परिषद ने आर्गेनिक वेस्ट कंपोस्ट यूनिट, सेमी ऑटोमेटिक फटका मशीन और हाइड्रोलिक बेलिंग प्रेस मशीन खरीदी, लेकिन इन मशीनों का भी इस्तेमाल नहीं हो रहा।
जिले के सभी नगरीय निकायों में प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी मुख्य समस्या है। मशीनें खरीदी गईं, लेकिन उन्हें चलाने वाला योग्य स्टाफ नहीं है। सफाई कर्मचारियों की संख्या भी कम है, जिससे मशीनें बंद पड़ी हैं और कचरा सही तरीके से प्रबंधित नहीं हो पा रहा।
एडीएम मिलिंद नागदेवे ने बताया कि कचरा प्रसंस्करण केंद्रों को ठीक से चलाने के लिए संबंधित सीएमओ को निर्देशित किया जाएगा ताकि बंद मशीनों को जल्द चालू किया जा सके।
अगर मशीनें सही ढंग से चलें तो न सिर्फ स्वच्छता रैंकिंग बेहतर होगी, बल्कि कचरे का पुनः उपयोग और आय भी बढ़ेगी। फिलहाल, मशीनों का उपयोग न होने से नगर पालिका की स्वच्छता योजनाएं अधूरी ही रह गई हैं।