शौचालय और भोजन के नाम पर लाखों का फर्जी भुगतान
Chhatarpur News: फरवरी में बागेश्वर धाम, गढ़ा गांव में हुए बड़े आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम की तैयारियां छतरपुर नगर पालिका और आसपास की नगर परिषदों को सौंपी गई थीं। छतरपुर नगर पालिका को शासन से विशेष निधि के अंतर्गत 50 लाख रुपए का बजट मिला था। अब इसी खर्च में भारी अनियमितताओं का खुलासा हुआ है।
खर्च दिखाया लाखों का, काम हुआ मामूली
आयोजन के लिए नगर पालिका ने जेसीबी, भोजन, लाइटिंग और टेंट के नाम पर पूरी राशि खर्च होना बताया। जबकि स्थानीय लोगों के अनुसार वास्तविक काम पर 7 से 10 लाख रुपए से अधिक खर्च नहीं हुआ। कई व्यवस्थाएं तो मौके पर की ही नहीं गईं, फिर भी ठेकेदारों और फर्मों के नाम पर भुगतान कर दिया गया।
23 फरवरी को प्रधानमंत्री ने कैंसर अस्पताल की नींव रखी थी और 26 फरवरी को राष्ट्रपति कार्यक्रम में पहुंचीं। लेकिन छह माह गुजरने के बाद भी नगर पालिका ने 50 लाख रुपए के उपयोगिता प्रमाण पत्र शासन को नहीं सौंपा है। आरोप है कि टेंट, लाइटिंग और भोजन जैसी व्यवस्थाओं पर जरूरत से कई गुना राशि खर्च दिखाकर बजट का दुरुपयोग किया गया।
अस्थाई शौचालय पर 13 लाख का हिसाब
कार्यक्रम स्थल पर कर्मचारियों ने बल्ली और मैट का उपयोग कर अस्थाई शौचालय बनाए थे, जिनकी अधिकतम लागत 20 हजार रुपए आंकी गई। बावजूद इसके नगर पालिका द्वारा इन शौचालयों पर 13 लाख रुपए का भुगतान दर्शाया गया। खास बात यह रही कि सभी बिल एक लाख रुपए से कम की राशि के लगाए गए, ताकि अध्यक्ष की स्वीकृति की आवश्यकता ही न पड़े।
भोजन खर्च पर भी सवाल
कार्यक्रम में नगर पालिका के लगभग 150 अधिकारी-कर्मचारी ड्यूटी पर तैनात थे। यदि लंच पैकेट और भोजन का औसत खर्च 100 रुपए माना जाए, तो चार दिन का कुल खर्च 1.20 लाख रुपए बैठता है। इसके विपरीत, 8 लाख रुपए का भुगतान दिखाया गया। आश्चर्य की बात यह है कि यह भुगतान एक निर्माण फर्म—बागेश्वर कंस्ट्रक्शन—के नाम पर किया गया, जबकि इस फर्म का कार्यक्षेत्र भोजन व्यवस्था से संबंधित नहीं है। नगर पालिका में पहले से कार्यरत फर्मों को नज़रअंदाज़ कर सीधा भुगतान नए नामों पर कर दिया गया।
हेलीपैड और टेंट व्यवस्था में गड़बड़ी
हेलीपैड का काम सामान्यतः पीडब्ल्यूडी करता है, लेकिन यहां नगर पालिका ने जेसीबी खर्च दिखाया। टेंट और गद्दों की संख्या भी बढ़ा-चढ़ाकर दर्शाई गई। 15×50 फीट टेंट और 50 गद्दों पर हजारों रुपए का खर्च पर्याप्त था, लेकिन लाखों रुपए का भुगतान कर दिया गया। अग्निरोधक सिलेंडर और छिड़काव जैसे कार्य भी कागजों में ही पूरे किए गए।
पीआईसी ने भी नहीं लिया हिसाब
आयोजन की तैयारियों के लिए नगर पालिका ने अध्यक्षीय परिषद (पीआईसी) से स्वीकृति तो ले ली, लेकिन कार्यक्रम के बाद किसी भी खर्च का विवरण नहीं मांगा गया। न ही यह पूछा गया कि कितनी राशि खर्च हुई और कितनी बची। इस लापरवाही का फायदा उठाकर अधिकारियों और संबंधित इंजीनियरों ने निधि का दुरुपयोग किया।
फर्जी बिल और फर्मों के नाम
जांच में सामने आया कि निर्माण स्वरूप चतुर्वेदी, ओमप्रकाश मिश्रा, बागेश्वर कंस्ट्रक्शन, बालाजी और सूर्योदय इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी कई फर्मों के नाम पर छोटे-छोटे बिल लगाए गए। सभी बिल एक लाख रुपए से कम के थे, ताकि भुगतान बिना किसी अतिरिक्त हस्ताक्षर के संभव हो सके। इससे स्पष्ट है कि योजना बद्ध तरीके से धनराशि का बंदरबांट किया गया।
जांच की बात, कार्रवाई का इंतजार
विशेष निधि से मिली राशि का उपयोग कैसे किया गया और कितनी गड़बड़ियां हुईं, इस पर सवाल उठने लगे हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पूरे मामले की जांच कराई जाएगी और जो भी जिम्मेदार पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।