जिले में बाढ़ का कहर, ग्रामीण और वाहन दोनों फंसे
Burhanpur News: दो दिन पहले बाढ़ का अनुभव होने के बाद भी धुपगट्टा गांव के पास नेशनल हाईवे पर सुरक्षा उपाय नहीं किए गए। परिणामस्वरूप, दो दिन के अंतराल में फिर से भारी बारिश के कारण आवागमन बाधित हुआ। पहली बाढ़ में पांच घंटे तक हाईवे बंद रहा, लेकिन इसके बाद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। बाद में, जंगल में भारी वर्षा होने पर दो पहाड़ी नदियों का पानी गांव से होकर हाईवे तक पहुँच गया और दो घंटे तक सैकड़ों वाहन फंसे रहे। आपात स्थिति में एंबुलेंस को भी पानी के बीच से निकालना पड़ा।
धुपगट्टा से लगभग 25 किलोमीटर दूर, गुरुवार शाम को अचानक हुई बारिश ने नदियों को उफान पर ला दिया। इन नदियों का पानी सीधे गांव के पास से होकर बहता है। हाईवे के लिए एक बड़ा पुल निर्माणाधीन है, लेकिन पुल के नीचे केवल एक सीमेंट पाइप से पानी निकासी की व्यवस्था की गई थी। इस वजह से बाढ़ का पानी पहले गांव में गया और फिर हाईवे पर फैल गया। यह स्थिति यह दर्शाती है कि पुल निर्माण में जल निकासी पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया।सभी प्रयासों के बावजूद, पोकलेन मशीन के जरिए पानी को डायवर्ट करने का प्रयास भी सीमित सफलता ही दे पाया। अचानक बाढ़ आने के कारण गांव वाले ऊँचे स्थानों की ओर चले गए और अपने पशुओं को सुरक्षित स्थानों पर ले गए। ग्रामीणों का कहना है कि यदि रात में तेज बारिश हुई तो जानमाल का नुकसान होने का खतरा बहुत बढ़ जाएगा।
पिछले तीन दिनों में जिले में साढ़े तीन इंच बारिश दर्ज की गई। धुलकोट क्षेत्र में सबसे ज्यादा 65 मिमी बारिश हुई। शहर में सुबह से हल्की वर्षा हुई, लेकिन दोपहर में तेज बारिश शुरू हो गई और शाम तक जारी रही। इस प्रकार, अगस्त के अंत तक जिले में कुल 541 मिमी बारिश हो चुकी है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में भी भारी बारिश की संभावना जताई है।
बाढ़ की समस्या का मुख्य कारण नदियों के पानी का डायवर्शन है। पुलिया के नीचे केवल एक पाइप होने के कारण भारी बारिश में जल का प्रवाह सही ढंग से नहीं हो पाता। इसके परिणामस्वरूप पानी गांव से होकर हाईवे तक फैलता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि जल निकासी की स्थायी व्यवस्था करना अत्यंत आवश्यक है। यदि यह नहीं किया गया, तो आने वाले समय में जानमाल और संपत्ति का गंभीर नुकसान होने का खतरा रहेगा।ग्रामीणों की चिंता यह भी है कि रात में अचानक बाढ़ आने पर कोई समय पर चेतावनी नहीं मिल पाएगी। इसके कारण सुरक्षा उपाय करना मुश्किल होगा। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है कि पुल और नदियों के आसपास आपातकालीन जल निकासी की योजना बनाई जाए। इससे बाढ़ के दौरान आवागमन बाधित होने और जानमाल के नुकसान की आशंका कम की जा सकती है।
अंत में, यह स्पष्ट है कि पहले हुए बाढ़ के अनुभव से कोई सबक नहीं लिया गया। यदि समय रहते जल निकासी और सुरक्षा उपाय किए जाएँ, तो बाढ़ से होने वाले नुकसान को काफी हद तक रोका जा सकता है।