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Bina News: किसान खरीफ में सोयाबीन का रकबा घटाएंगे

 

Bina News: जून में 11 दिन निकल गए हैं लेकिन मानसून नहीं आया है, जिससे बारिश नहीं हो रही है। किसानों ने खरीफ की बुआई की तैयारी शुरू कर दी है। मानसून अच्छा आने की उम्मीद है। एक से डेढ़ इंच बारिश के बाद ही किसान मौका मिलने पर खरीफ की बुआई शुरू करेंगे। पिछले साल किसानों ने उड़द का रकबा 7 हजार हेक्टेयर घटाकर सोयाबीन का रकबा 11 हजार हेक्टेयर बढ़ाया था लेकिन सोयाबीन की अच्छी फसल आने के बाद भी किसानों को दाम नहीं मिले।

पूरे साल सोयाबीन के अधिकतम दाम 4500 रुपए के अंदर ही रहे। जिससे किसानों की लागत भी ठीक से नहीं निकल पाई। उड़द का उत्पादन कम होने से दाम ज्यादा रहे।किसान खरीफ की बुआई में सोयबीन का रकबा पिछले साल की तुलना में 12 से 15 हजार हेक्टेयर घटा सकते हैं। पिछले साल 45040 हेक्टेयर में सोयाबीन बोया था। उड़द का रकबा 9500 हेक्टेयर से कम करके 2437 हेक्टेयर कर दिया था। इस साल उड़द रकबा बढ़कर 10 से 12 हजार हेक्टेयर हो सकता है। किसान मक्का का रकबा भी बढ़ाएंगे।

सोयाबीन का रकबा 25 हजार से 30 हजार हेक्टेयर तक पहुंच सकता है। वहीं मक्का का रकबा भी 5 से 7 हजार हेक्टेयर तक पहुंच सकता है। अगर ज्यादा पानी गिरता है तो धान का रकबा भी बढ़ सकता है, ऐसे में उड़द का रकबा घटना होगा। सोयाबीन का रकबा घटने की स्थिति में तेल, प्रोटीन पाउडर जैसे उत्पादों के दाम में वृद्धि की संभावना रहती है।

किसान डीएपी की जगह सोयाबीन में एनपीके डालें
कृषि विभाग के एसएडीओ राजू चौहान का कहना है कि डबल लॉक में डीएपी खाद के लिए किसानों की भीड़ रही, डीएपी खाद का स्टॉक खत्म हो गया है। अब रैक लगने की स्थिति में खाद आएगा। किसान खरीफ के हिसाब से डीएपी ले गए हैं। अभी एनपीके खाद उपलब्ध हैं। सोयाबीन में सल्फर वाले खाद की आवश्यकता होती है, जो एनपीके, सुपर फास्फेट में उपलब्ध है।

डीएपी की इ इसमें जरूरत नहीं है, किसान परंपरागत रूप से डीएपी खाद खरीदता है। किसान सुपर फास्फेट खाद का छिड़काव पहले कर दें, यह खाद बुआई के पहले डाला जाता है। यह धूप, बारिश में न उड़ता है न ही खराब होता है। यह भूमि में बना रहता है, फसल बुआई करने पर पौधों को मिल जाता है। इस बार किसान सोयाबीन का रकबा घटा रहे हैं, मक्का का रकबा बढ़ाने की अभी तक चर्चा हुई है।

मानसून पर निर्भर करेगी बुआई, कम रहने की संभावना

सेवानिवृत्त एसएडीओ एसपी भारद्वाज का कहना है कि बुआई के लिए 25 मिमी से 40 मिमी तक बारिश की जरूरत होती है। तब भूमि बुआई के लायक हो पाएगी। अभी भूमि गर्म होने से पानी सूख जाएगा, दूसरी बारिश में मिट्टी भुरभुरी हो जाएगी। किसान बतर आने पर बुआई कर सकेंगे। बारिश के बाद मौसम खुला मिलना जरूरी है, जिससे किसान बुआई कर सकें।

अभी मानसून में देरी होती नजर आ रही है। जून में बारिश नहीं हुई है। पिछले साल क्षेत्र में 52 हजार हैक्टेयर में खरीफ की फसलें सोयबीन, उड़द,मक्का, धान आदि बोई गईं थी। भूमि में गर्मी रहने पर ही बीज का सही अंकुरण हो पाता है। उसके बाद बारिश होती रहे तो फसलें अच्छी होंगी। इस साल बुआई का रकबा मानसून पर निर्भर करेगा।

पिछले साल की तुलना में रकबा कम रह सकता है। ज्यादा बारिश में उड़द की फसल नहीं हो पाती है। ऐसे में किसानों को मक्का पर शिफ्ट होना पड़ेगा। जिले की अन्य तहसीलों में मक्का की खेती बढ़ी है। अब आधुनिक मशीनें आने लगी हैं, जिससे किसानों को मक्का की खेती एवं उत्पादन लेने में मदद मिलेगी।

सोयाबीन घटाएंगे तो मक्का बढ़ा सकते हैं

किसान विवेक सिंह, प्रहलाद का कहना है कि इस बार सोयाबीन का रकबा घटाएंगे। ज्यादा बारिश का अनुमान है। ऐसे में मक्का का रकबा बढ़ा सकते हैं। इसके लिए बीज पर भी निर्भरता है, अच्छा बीज मिलेगा तो रकबा बढ़ जाएगा। मौसम की अनुकूलता रही तो उड़द का रकबा भी बढ़ा सकते हैं।