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मध्यप्रदेश में किसान ने फसल चक्र से सालभर खेतों को भरपूर रखा

 

MP News: मुरैना जिले की जौरा तहसील के जलालपुर गांव के किसान गिर्राज त्यागी ने आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक तरीके से खेती कर वर्ष में चार फसल लेने का नया उदाहरण पेश किया है। उन्होंने फसल चक्र इस तरह व्यवस्थित किया है कि खेत साल में एक भी दिन खाली नहीं रहता।

त्यागी बताते हैं कि खरीफ सीजन में वह बेड सिस्टम से बाजरा और अरहर की संयुक्त बुवाई करते हैं। बेड के किनारे अरहर की पंक्तियां और बीच में बाजरा बोते हैं। 90 दिन बाद बाजरा काट लिया जाता है और अरहर को 115 दिन में तैयार कर खेत से निकालते हैं। इसके बाद खेत जोतकर 1 नवंबर तक गेहूं की बुवाई करते हैं। गेहूं की कटाई मार्च तक हो जाती है।

फसल कटने के बाद मार्च में मूंग की बुवाई की जाती है और जून तक इसे मंडी में बेचकर लाभ कमाया जाता है। इस तरीके से प्रति एकड़ औसतन 7 क्विंटल बाजरा, 5 क्विंटल अरहर, 20 क्विंटल गेहूं और 4 क्विंटल मूंग उत्पादन होता है।

त्यागी के अनुसार इस फसल चक्र से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहती है, कीट और बीमारियों का खतरा कम होता है और आय दोगुनी तक बढ़ जाती है। बेड सिस्टम से जल संरक्षण भी होता है और सिंचाई की जरूरत कम पड़ती है।

इसके अलावा धान कटने के बाद कुछ हिस्सों में सरसों और बरसीम की बोवनी कर तीन फसलों का अतिरिक्त लाभ भी लिया जाता है। यह नवाचार कम लागत में अधिक उत्पादन पाने का बेहतरीन उदाहरण है। ऐसे वैज्ञानिक तरीके अपनाकर किसान पारंपरिक खेती से बेहतर आय और संसाधनों की बचत कर सकते हैं।