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Guna News: सुख नदी का कटाव पहुंचा 250 घरों की बस्ती तक 

 

Guna News: पिछले करीब 10 साल से हर मानसून में घर डूबने के डर के बीच रहे रहे कुंभराज के पायगा मोहल्ला के लोग इस मानसून बिना किसी डर के रह सकेंगे। इसके पीछे कारण है कि सुख नदी पर जिले की पहली काउंटर फोर्ट रिटेनिंग वॉल बनकर तैयार हो गई है। पिछले 35-40 साल से लगातार सुख नदी कुंभरान के इस क्षेत्र के किनारे को काट रही थी।

नदी का कटाव इतना बढ़ गया कि यह लगभग मोहल्ले तक पहुंच गई। यहां पर करीब 250 कच्चे-पक्के घर बने हुए हैं जिनमें पीएम आवास के मकान भी शामिल हैं। एक मंदिर और एक मजार भी यहां बनी है। इस मानसून में हालात इतने खतरनाक हो गए थे कि यदि नदी बहाव तेज होता तो यह घर नीचे सकते थे।

इसे बचाने के लिए यहां 2.65 करोड़ रुपए की लागत से 310 मीटर लंबी और 7.5 मीटर ऊंची दीवार का निर्माण किया गया है। रहवासियों के अनुसार पहले यहां पर खुला मैदान था। यहां ग्रामीण अपने मवेशी बांधते थे और खेती भी होती थी, बच्चे यहां पर खेलते थे। लेकिन, पिछले कुछ सालों में हर बारिश में नदी का कटाव बढ़ता गया। बढ़ते-बढ़ते यह कटाव बस्ती में पहुंच गया। कुछ वर्ष पहले किनारे के कई घर यहां क्षतिग्रस्त भी चुके हैं।

यहां आकर घुमावदार हो जाती है नदी, इसलिए बढ़ रहा रहा कटाव

सुख नदी छोटे-छोटे नालों से मिलकर बनी है और कुंभराज से गुजरने के बाद आगे पार्वती में मिल जाती है। बारिश के समय इसमें तेज बहाव रहता है। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार नदी के दाएं तट पर पर पायगा मोहल्ला है। इस क्षेत्र में नदी घुमावदार है और बारिश के समय जब यह उफान पर आती है तो इस क्षेत्र में घुमावदार होने से किनारों को काट देती है।

साल-दर-साल इसका कटाव बढ़ता गया। यहां पर दीवार बनाने की मांग कई वर्षों से की जा रही है।
वर्तमान के कटाव क्षेत्र के बाद बची हुई शेष भूमि से भी लगभग 25 30 फीट आगे तक हमारी जमीन थी जिसमें पूर्वजों द्वारा फसल की जाती थी। इसके बाद यहां मवेशी बांधते थे, लेकिन कटाव के कारण यह भूमि खत्म हो गई। वर्तमान में शासन की ओर से जो दीवार का निर्माण कराया जा रहा है उसकी ऊंचाई आवश्यकता के अनुरूप कम करके उक्त काम पर्याप्त नहीं किया गया है। बारिश में नदी में जलस्तर ज्यादा होगा तो कटाव को रोकना मुश्किल होगा।

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संजीव मीना, स्थानीय रहवासी

हमारा 150 बाय 70 फीट का बाड़ा था जिसका उपयोग मवेशियों को बांधने चारा रखने और अन्य कार्यों के उपयोग में बड़ा काम में आता था। लगातार 25 वर्षों से कटाव होने की वजह से उक्त बाड़ा आज करीब 40 बाय 70 फीट का होकर उपयोगहीन हो गया है। दीवार के निर्माण से अब काफी राहत मिलेगी। हमारे बाड़े से लगकर पाएगा वाले हनुमानजी का मंदिर है। यदि दीवार नहीं बनती तो एक-दो वर्ष में मंदिर कटाव क्षेत्र में आकर क्षतिग्रस्त हो सकता था।

- नरेंद्र कासट, स्थानीय निवासी

यह जिले की पहली काउंटर फोर्ट रिटेनिंग वॉल है। यहां करीब 250 घर नदी के डूब में आने की कगार पर थे, लेकिन अब दीवार का निर्माण होने से यह पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे। यहां पर 7.5 मीटर ऊंची दीवार का निर्माण किया गया है। मेघ सिंह नरवरिया, एसडीओ जल संसाधन विभाग