Movie prime

सरकारी स्कूलों में घटा नामांकन, पर मिड-डे मील पाने वाले छात्रों की संख्या बढ़ी

 

MP News: मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में छात्रों का नामांकन लगातार घट रहा है, लेकिन मिड-डे मील की थाली की ओर बच्चों का आकर्षण बढ़ता जा रहा है। शैक्षणिक सत्र 2023-24 में स्कूल शिक्षा और जनजाति विभाग मिलाकर 75.88 लाख बच्चों का नामांकन हुआ था, जिनमें से 49.21 लाख ने मध्याह्न भोजन लिया। 2024-25 में नामांकन घटकर 74.34 लाख रह गया, जबकि मिड-डे मील खाने वाले बढ़कर 50.10 लाख हो गए। यानी नामांकन में 2.03% की कमी के साथ लाभार्थियों में 1.79% की बढ़त हुई।

जनजाति विभाग के स्कूलों में यह स्थिति और स्पष्ट दिखी। वर्ष 2023-24 में प्राथमिक स्तर पर 6.62 लाख नामांकन थे और 4.23 लाख बच्चों ने भोजन लिया। 2024-25 में नामांकन घटकर 6.30 लाख रह गया, लेकिन खाने वालों की संख्या 4.24 लाख तक पहुंच गई। इसी तरह माध्यमिक स्तर पर 3.95 लाख नामांकन से घटकर 3.75 लाख रह गए, मगर भोजन करने वाले 3.06 लाख से बढ़कर 3.44 लाख हो गए।

स्कूल शिक्षा विभाग के आंकड़े भी यही तस्वीर दिखाते हैं। 2023-24 में यहां 65.31 लाख नामांकन दर्ज हुए और 41.92 लाख बच्चों ने मिड-डे मील लिया। अगले सत्र में नामांकन 64.28 लाख रह गया, जबकि भोजन पाने वाले 42.41 लाख तक पहुंच गए। यानी पढ़ाई के लिए बच्चों की गिनती घटी, लेकिन खाने वालों की भीड़ और बढ़ गई।

योजना पर हो रहा अरबों का खर्च
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के तहत 2024-25 में बच्चों की थाली तक पहुंचने वाले अनाज पर 2839 करोड़ रुपये खर्च हुए। लेकिन भोजन पकाने और परोसने की तैयारी पर इससे कहीं ज्यादा खर्च हुआ। सामग्री खरीद पर 6790 करोड़ रुपये, कुक-कम-हेल्पर के मानदेय पर 7973 करोड़ रुपये और सिर्फ डुलाई पर 934 करोड़ रुपये खर्च किए गए। मॉनिटरिंग व प्रबंधन पर 1415 करोड़ रुपये और जुड़ गए।

कुल मिलाकर तस्वीर साफ है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे घट रहे हैं, लेकिन मिड-डे मील पाने वाले लगातार बढ़ रहे हैं। अनाज की असली कीमत सबसे सस्ती साबित हुई, जबकि उसकी रसोई और इंतजाम पर अरबों रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ता जा रहा है।