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नगरीय शुल्क न होने से नगर पालिका ने होल्ड किए पीएम आवास के आवेदन, पहले दे चुकी है लाभ

 

Chhatarpur News: छतरपुर शहर के आसपास के कई वार्ड ऐसे हैं, जिनकी सीमाएं ग्रामीण इलाकों से मिलती हैं। यहां की रजिस्ट्रियों में अक्सर नगरीय शुल्क नहीं जोड़ा जाता, जिससे प्लॉट रजिस्ट्री तो कम खर्च में हो जाती है, लेकिन बाद में कई योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। पीएम आवास योजना के तहत नगर पालिका ने ऐसे 200 से ज्यादा आवेदनों को होल्ड कर दिया है, जिनकी रजिस्ट्री में नगरीय शुल्क नहीं दर्शाया गया है।

यह मामला तब सामने आया जब नगर पालिका की टीम ने पीएम आवास योजना 2.0 के लिए प्राप्त आवेदनों की जांच शुरू की। जांच में पाया गया कि कई ऐसे प्लॉट जो शहरी सीमा में आते हैं, उनकी रजिस्ट्री ग्रामीण क्षेत्र की बताकर बिना नगरीय शुल्क के कराई गई है। जबकि उन्हीं क्षेत्रों में पहले कई लोगों को इस योजना का लाभ मिल चुका है।

रजिस्ट्री लेखक मौके की सही लोकेशन नहीं दर्ज करते, जिससे प्लॉट शहरी क्षेत्र में होते हुए भी ग्रामीण क्षेत्र का माना जाता है। इससे रजिस्ट्री में स्टांप शुल्क, जनपद शुल्क और पंजीयन शुल्क तो लिया जाता है, लेकिन नगरीय शुल्क नहीं जोड़ा जाता। बाद में जब ऐसी रजिस्ट्री पोर्टल पर अपलोड होती है, तो वह सिस्टम में ग्रामीण क्षेत्र दिखाती है।

पठापुर रोड स्थित वार्ड 39 में पहले नगर पालिका ने कई लोगों को पीएम आवास योजना का लाभ दिया था, लेकिन अब उसी इलाके के 50 से अधिक नए आवेदनों को सिर्फ इस वजह से रोका गया है क्योंकि उनकी रजिस्ट्री में नगरीय शुल्क शामिल नहीं है। वहीं कुछ लोग जैसे सुमित रजक और दीनदयाल वर्मा दो साल से संपत्ति कर भी चुका रहे हैं, फिर भी उनके आवेदन होल्ड कर दिए गए हैं।

रजिस्ट्री लेखक अविनाश दुबे ने बताया कि शहर का विस्तार तेजी से हो रहा है और आसपास के गांव शहरी सीमा में आ चुके हैं। बावजूद इसके कुछ रजिस्ट्रियां गलत लोकेशन बताकर कर दी जाती हैं।अपर कलेक्टर मिलिंद नागदेवे ने कहा कि सभी आवेदनों की जांच शासन की गाइडलाइन के अनुसार की जा रही है। यदि किसी स्तर पर लापरवाही हो रही है तो उसे सुधारा जाएगा।