आपदा राहत में घोटाला: 20 जिलों में 27.90 करोड़ हड़पे, सिर्फ 7.43 करोड़ की हुई वसूली
Chhatarpur News: पिछले 10 सालों में प्रदेश के 20 जिलों में आपदा राहत के नाम पर 27.90 करोड़ रुपये का गबन सामने आया है। इन जिलों में कर्मचारियों ने प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों को मिलने वाली मदद की राशि में गड़बड़ी की। जांच में खुलासा हुआ कि राहत के 288 मामलों में अनियमितता हुई, लेकिन अब तक सिर्फ 7.43 करोड़ रुपये की ही वसूली हो सकी है। बाकी 20.47 करोड़ की राशि अब भी रिकवरी और नोटिसों के भरोसे अटकी हुई है।
हर जिले में घोटाले का तरीका अलग था, लेकिन मकसद एक ही—आपदा के समय सरकारी पैसों से कमाई करना। साल 2015-16 से 2024-25 तक फसल नुकसान, मकान क्षति, मवेशियों की मौत और आपदा में हुई मृत्यु के नाम पर गलत ढंग से राहत राशि बांटी गई। कई जगह बिना सर्वे राहत बांट दी गई, तो कहीं फर्जी दस्तावेज लगाकर पैसा निकाला गया।
भिंड और नर्मदापुरम में सबसे ज्यादा बकाया
भिंड में पांच मामलों में 3.64 करोड़ का गबन हुआ, लेकिन सरकार सिर्फ 93 लाख रुपये ही वसूल सकी। इसी तरह नर्मदापुरम में 2.23 करोड़ का गबन हुआ, जिसमें से मात्र 17 लाख रुपये ही वापस आए। शिवपुरी में भी 2.77 करोड़ की अनियमितता में से 1.65 करोड़ की राशि अब भी बकाया है। श्योपुर, सीहोर, विदिशा और नीमच जैसे जिलों में भी लाखों की राशि अभी रिकवर नहीं हो पाई है।
जहां पूरी रिकवरी हुई, वहां एफआईआर नहीं
रायसेन, मंदसौर, छतरपुर, सतना, मैहर, खंडवा और खरगोन जैसे जिलों में 100% रिकवरी हो चुकी है। लेकिन इनमें से किसी भी जिले में एफआईआर दर्ज नहीं की गई, जबकि वहां भी गड़बड़ी हुई थी।
इस पूरे मामले से साफ है कि कई जिलों में आपदा की घड़ी को अफसरों और कर्मचारियों ने मौका बनाकर सरकारी पैसों का दुरुपयोग किया।