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Guna News: हर घर में शौचालय होने के बावजूद एक बाल्टी पानी की खातिर आज भी खुले में जाने को मजबूर महिलाएं

 

Guna News: महिलाओं को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च किए। लाखों शौचालय बनाए गए। मध्य प्रदेश के 51,043 गांवों में से 50,759 को ओडीएफ प्लस घोषित कर दिया गया, लेकिन क्या कागजों पर हुई यह उपलब्धि जमीनी हकीकत को दर्शाती है? मध्य प्रदेश के दर्जनों ऐसे गांव हैं, जो ओडीएफ घोषित हैं, हर घर में शौचालय बना हुआ है, लेकिन पानी की भारी कमी के कारण गर्मियों में महिलाएं मजबूरी में खुले में शौच जाने को मजबूर हैं।

गुना से महज 10 किमी दूर ग्राम सौंठी की स्थिति इस दावे को झूठा साबित कर देती है। यह गांव ओडीएफ घोषित है, लगभग हर घर में शौचालय भी बना हुआ है, लेकिन आज भी महिलाएं खुले में शौच के लिए खेतों की ओर जाती हैं। वजह? सिर्फ एक बाल्टी पानी की कमी। खुले में शौच के लिए एक लोटा काफी होता है, लेकिन शौचालय का उपयोग करने के लिए कम से कम एक बाल्टी पानी की जरूरत पड़ती है। गांव में महिलाओं ने बताया कि सरकारी कुआं सूख चुका है, सिर्फ एक हैंडपंप है और पूरा गांव उसी पर निर्भर है। कुछ निजी बोरवेल हैं, लेकिन बिजली नहीं होने से इससे भी पानी नहीं मिल पाता है।

इस कारण हर सुबह और शाम गांव की महिलाएं खेतों और जंगल की ओर जाती हैं। स्थिति यह है कि पानी की कमी के कारण गर्भावस्था के दौरान भी महिलाओं को खुले में शौच जाना पड़ता है। पानी की किल्लत ने उसके जैसे न जाने कितनी महिलाओं की तकलीफें बढ़ा दी हैं। सरपंच प्रतिनिधि संतोष यादव का कहना है कि गांव में पानी और बिजली की समस्या के कारण आदिवासी बस्ती में लोगों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है।

प्रदेश में जल संकट की हकीकत

मध्य प्रदेश के जल संकट की गहराई का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि इंदौर में भूजल स्तर 2012 में जहां 150 मीटर था, वह 2023 में बढ़कर 310 मीटर (करीब 560 फीट) तक पहुंच गया है। भूजल उपयोग यहां 120% तक हो चुका है। विदिशा में सबसे ज्यादा 809 गांव जल संकटग्रस्त हैं। भिंड में 574, डिंडोरी में 547, जबलपुर में 540, रतलाम में 514 और देवास में 501 गांव ऐसे हैं, जहां पानी गंभीर चुनौती बन चुका है।

मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर और उज्जैन जैसे जिलों में भूजल का अत्यधिक दोहन हो रहा है। शिवपुरी में दोहन दर 100% से ज्यादा है और यहां 98% भूजल सिंचाई में उपयोग हो रहा है। इसलिए इस क्षेत्र को 'क्रिटिकल' श्रेणी में रखा गया है। सागर जिले में 52% कुओं में भूजल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है।


शौचालय होते हुए भी खुले में शौच की मजबूरी

ऐसी तस्वीरें सिर्फ गुना जिले तक सीमित नहीं हैं। सीहोर जिले की बिशनखेड़ी पंचायत हो या दमोह की कांटी पंचायत या मुरैना का रामपुर कलां गांव, गुना के सौंठी और बोरखेड़ा, राजगढ़ का गोल्हारी, विदिशा का लटेरी और रायसेन का कोड़ा गांव, ये सभी ओडीएफ घोषित हैं, सभी जगह शौचालय हैं, लेकिन भीषण जल संकट की वजह से इन गांवों की महिलाएं शौच के लिए खुले में जाना ही अपनी नियति मान चुकी हैं।


26 ब्लॉक में अत्यधिक दोहन

केंद्रीय भूजल बोर्ड की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के 313 ब्लॉकों में से 26 'ओवर एक्सप्लॉइटेड' यानी अत्यधिक दोहन की श्रेणी में हैं, जहां जितना भूजल रिचार्ज होता है, उससे कहीं ज्यादा उसका दोहन हो रहा है। 8 ब्लॉक 'गंभीर' और 50 'अर्ध-गंभीर' की श्रेणी में हैं। रिपोर्ट बताती है कि पिछले एक दशक में राज्य के औसतन 34% कुओं में जल स्तर गिरा है। साफ है कि सिर्फ शौचालय बनाकर ओडीएफ घोषित कर देना ही समाधान नहीं है। अगली और असली चुनौती है- हर घर तक पर्याप्त पानी पहुंचाना।