Movie prime

जिले की रुंझ नदी में हीरे की तलाश, किस्मत आजमाने वालों की भीड़ 

 

Chhatarpur News: अजयगढ़ क्षेत्र की रुंझ नदी इन दिनों हिरा खोजने वाले लोगों से भरी हुई है। सुबह से शाम तक लोग नदी किनारे मिट्टी और पत्थरों को छानते रहते हैं। मिट्टी के ढेरों को जैसे गेहूं की तरह बीनते हुए हर किसी को उम्मीद होती है कि कहीं कोई चमकता हुआ हिरा हाथ लगे। कुछ लोगों की किस्मत सच में चमक जाती है और उन्हें बड़ी सफलता मिलती है, लेकिन अधिकांश लोग खाली हाथ लौट जाते हैं।

पन्ना क्षेत्र हीरों के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां सरकारी खदानों के साथ-साथ निजी भूमि पर भी खनन होता है। बड़े शहरों से व्यापारी और अवसर की तलाश में लोग भी यहां आते हैं। वहीं, स्थानीय गरीब लोग खदान लेने में असमर्थ होने के कारण बारिश के मौसम में रुंझ नदी में हिरा खोजते हैं। स्थानीय लोग इसे “हिरा उगलने वाली नदी” भी कहते हैं। पहाड़ी इलाकों से बहते हुए नदी अपने साथ मिट्टी और कभी-कभी हिरा भी लाती है।

लोग दिन-रात मेहनत करके नदी किनारे मिट्टी और पत्थरों को छानते हैं। बहाव वाले हिस्सों के अलावा दोनों किनारों पर खोज की जाती है। इसके लिए फावड़ा, संबल, तसला और जालीदार टोकरी जैसी साधनों का इस्तेमाल होता है। नदी के बहाव वाले हिस्सों में जालीदार टोकरी की मदद से मिट्टी में छुपे हिरों की तलाश की जाती है। तीन साल पहले रुंझ नदी में 72 कैरेट का हिरा मिलने के बाद से यहां लोगों की संख्या और बढ़ गई है।

स्थानीय प्रशासन ने पहले इस भीड़ को नियंत्रित किया था, लेकिन इस बार फिर नदी किनारे हिरा खोजने वाले लोग जुटे हुए हैं। वैध खदान न होने के कारण नदी से मिलने वाले हिरों की सही जानकारी उपलब्ध नहीं होती। फिर भी मजदूर, किसान और बाहरी लोग उम्मीद में नदी किनारे डेरा डालते हैं, कि शायद एक हिरा उनकी जिंदगी बदल दे।

बारिश के मौसम में नदी का बहाव तेज होने के कारण लोगों की उम्मीदें और बढ़ जाती हैं। यही वजह है कि दिन-रात मेहनत करके वे अपने सपनों की तलाश में लगे रहते हैं। रुंझ नदी में हिरा खोजने की यह जद्दोजहद न केवल आजीविका का साधन बन गई है, बल्कि ग्रामीणों के लिए उम्मीद की किरण भी बनी हुई है।