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Guna News: उपभोक्ताओं को बनाया बेवकूफ, फ्री बताकर लगाए स्मार्ट मीटर 

 

Guna News: देशभर में भारी विरोध के बावजूद शहर के घर-दुकानों में स्मार्ट मीटर लगाने का काम शुरू हो गया। इसकी शुरूआत सरकारी दफ्तरों से हुई थी। इसके बाद अब तक दुर्गा कालोनी, सिसौदिया कालोनी जैसे इलाकों में 500 मीटर लगाए जा चुके है। बिजली कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि अगले 3-4 माह में सभी 60 हजार घरों व संस्थानों में इन्हें लगाया जाना है।

बिजली कंपनी के अधिकारी इसे निशुल्क बता रहे रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि इसकी राशि बाद में उपभोक्ताओं से ही वसूली जाएगी। हर मीटर की कीमत 25 हजार रुपए है और यह राशि भी जनता की जेब से निकाली जाएगी। अकेले गुना शहर से 1.50 अरब यानी 150 करोड़ रुपए वसूले जाएंगे। देशभर में स्मार्ट मीटर का विरोध कर रही बिजली उपभोक्ता एसोसिएशन की गुना इकाई के पदाधिकारी लोकेश शर्मा का कहना है कि बिजली क्षेत्र के निजीकरण के मकसद से यह कदम उठाया जा रहा है। बिजली कंपनी के डीई राजेंद्र सिंह ने कहा कि सभी को स्मार्ट मीटर लगवाना जरूरी है।

डीई बोले - राशि नहीं वसूली जाएगी, मंत्री कह चुके हैं- किस्तों में काटे जाएंगे पैसे
मीटर के 25 हजार रुपए क्या जनता से वसूले जाएंगे? इस बात पर बिजली कंपनी के डीई राजेंद्र सिंह ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। लोगों से कोई पैसा नहीं लिया जाएगा। दूसरी ओर 3 माह पहले ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर कह चुके हैं कि उक्त राशि लोगों से ही वसूली जाएगी। यही नियम है। पहले भी ऐसा होता रहा है।

एसोसिएशन नकेलो के लोकेश शर्मा ने बताया कि मीटर की कीमत वसूली को लेकर लगभग 4 माह पहले विद्युत नियामक आयोग में याचिका भी दर्ज कराई गई। याचिकाकर्ता रिटायर्ड एडिशनल चीफ इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल थे। इसमें उन्होंने बताया कि एक मीटर की किस्त 18% जीएसटी सहित वसूली जाएगी। इसमें पहली किस्त के तौर पर 1500 और जीएसटी 270 रुपए जुड़ेगा। बाद की किश्तों में साढ़े 7 साल में कुल 14,310 रु. वसूले जाएंगे। इस पर रखरखाव, निगरानी और डेटा भेजने का शुल्क 1200 रुपए हर साल लिया जाएगा।

ये सब मिलाकर एक मीटर पर कुल राशि 25 हजार 80 रुपए होती है।कर्मचारियों के पास आदेशन पहचान पत्र : मीटर लगाने के लिए बोर्ड भी लोगों से मंगवाए दुर्गा कालोनी में बीते दो दिन से मीटर बदलने का काम पार्षद वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि मीटर बदल रहे युद्धस्तर पर चल रहा है। यहां रहने वाले पूर्व रहे कर्मचारियों के पास कोई पहचान पत्र नहीं है। न ही कोई आदेश है, जिससे पता चल सके कि वे किसके कहने पर मीटर बदल रहे हैं। मीटर लगाने के लिए बोर्ड भी लोगों से मंगाया जा रहा है। कारण यह है कि पुराने मीटर हटाए जाने के दौरान बोर्ड भी टूट रहे हैं। मीटर बदल रही कंपनी के कर्मचारियों के पास बोर्ड भी नहीं है। यह बोझ भी जनता पर डाला जा रहा है।

बिल में अलग से मद नहीं दिखाया जाएगा

लोकेश शर्मा ने बताया कि मीटर का पैसा हर माह वसूला जाएगा, लेकिन बिल में इसके लिए अलग से कोई मद नहीं दिखाया जाएगा। यानि जनता को पता ही नहीं चलेगा कि मीटर के नाम पर उनसे हर माह कितने रुपए वसूले जा रहे हैं। संगठनों के मुताबिक यह एक लूट है। जनता यूनियन के प्रांतीय पदाधिकारी नरेंद्र भदौरिया ने कहा कि जब मैकेनिकल मैकेनिकल मीटर मीटर हटाकर इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगाए गए थे, तब भी जनता से मीटर की धरोहर राशि वसूली गई थी। अब उसका क्या होगा? क्या उसे स्मार्ट मीटर की राशि से एडजस्ट किया जाएगा? उन्होंने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता का तो कुछ भी अता-पता नहीं है।