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Devri Kala:  क्या हम अपने-अपने घरों में खुशी से रह सकते हैं यदि देश संकट में हो तो : मुनि भावसागर

हमदर्दी के बिना मानव सेवा नहीं हो सकती। आपकी सुन्दरता आपके देश से है फेस से नहीं। देश को देखने लाखों आते हैं आपके फेस को देखने केवल आपके रिश्तेदार आते हैं। गम को बुरा मत कहो कि खुशी इसी से आती है। आग पर जलकर ही अगरबत्ती मजा लाती है। आग के कष्ट को सहन किए बिना अगरबत्ती से खुशबू नहीं आती, उसी प्रकार दुखों को भोगे बिना जीवन में सुख की प्राप्ति नहीं होती। अतः हमें किसी भी प्रकार की मुसीबत में अपना साहस नहीं खोना चाहिए।
 

Devri Kala: श्री दिगंबर जैन मंदिर धर्मशाला संत निवास में मुनि धर्मसागर महाराज, मुनि भावसागर महाराज के सानिध्य में प्रातः काल की बेला में मांगलिक क्रियाएं हुई।

मुनि भावसागर महाराज ने कहा कि देश खुश रहेगा तो आपका घर खुशियों से भरा रहेगा। अपने देश का संरक्षण सच्चे, समर्पण के साथ करना चाहिए। आज हमें देश प्रेम की जरूरत है। यदि हमारे अन्दर देश प्रेम होगा तो हम अपने देश की मिसाल देख सकेंगे। यदि देश संकट में हो तो क्या हम घरों में खुशी से रह सकते हैं, आपके घर की खुशहाली देश की खुशहाली पर निर्भर है। देश की खुशहाली को सुरक्षित रखकर ही हम अपने घर की खुशी और अपने जीवन को खुश रख सकते हैं, देश रहेगा तो आपका घर खुशियों से भरा रहेगा, देश परेशान रहेगा तो आपका दिल नाराज रहेगा।

देश महत्वपूर्ण है,देश की सेवा बड़ी सेवा है, सबसे बड़ा जीवनदान है। किसी के गम को मिटाना, किसी की समस्या को निपटाना धरती की सबसे बड़ी मानव सेवा है। अपने अंदर संवेदना पैदा करो। वह आंगन, आंगन नहीं मंदिर है, जहां बैठकर लोग मानव सेवा की प्लानिंग बनाते हैं। मानव सेवा की प्लानिंग बनाना भी भगवान की जप से ज्यादा मायना रखती है। मानव सेवा की प्लानिंग बनाना भी तो ईश्वरकी प्रार्थना से कम नहीं है। वह प्लानिंग प्रार्थना है जिसमें विश्व की शुभकामना है।

हमदर्दी के बिना मानव सेवा नहीं हो सकती। आपकी सुन्दरता आपके देश से है फेस से नहीं। देश को देखने लाखों आते हैं आपके फेस को देखने केवल आपके रिश्तेदार आते हैं। गम को बुरा मत कहो कि खुशी इसी से आती है। आग पर जलकर ही अगरबत्ती मजा लाती है। आग के कष्ट को सहन किए बिना अगरबत्ती से खुशबू नहीं आती, उसी प्रकार दुखों को भोगे बिना जीवन में सुख की प्राप्ति नहीं होती। अतः हमें किसी भी प्रकार की मुसीबत में अपना साहस नहीं खोना चाहिए।

हर स्थिति का सामना दम के साथ करना चाहिए, जिस दिन जिन्दगी सेवा से जुड़ पड़ेगी। सेवा ईश्वर तक पहुंचने की पगडंडी है। जैसे-जैसे आप मानव सेवा करते जाएंगे वैसे-वैसे ईश्वर आपके नजदीक आता जाएगा। सेवा से रहित ईश्वर भक्ति हमेशा अधूरी है। सेवा और भक्ति में बहुत अन्तर है। भगवान की भक्ति की जाती है सेवा नहीं और इंसान की सेवा की जाती है भक्ति नहीं।

इंसान को सेवा की जरूरत पड़ती है। दुःखित, परेशान इंसानों की सेवा के शिविर कम ही देखने को मिलते हैं। हम ईश्वर को खुश करने की अपेक्षा इंसान को खुश करने की सोचें। किसी बीमार को खुश करना सबसे अच्छा कार्य है।