Guna News: सरकारी स्कूलों में शौचालय की सफाई कराने का अभियान शुरू, 107 स्कूलों में से 58 की होगी सफाई
Guna News: जिले के सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं की मूलभूत सुविधाएं अब भी उपेक्षा की शिकार हैं। खासकर शौचालयों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। जिले नया करीब 1200 स्कूल ऐसे हैं जिनमें मरम्मत की जरूरत है, लेकिन हो नहीं पा रही है क्योंकि इसके लिए कोई फंड ही नहीं है। वहीं जिन विद्यालयों में शौचालयों की मरम्मत के लिए फंड मिला है, उनमें भी विभाग काम नहीं करा पा रहा है।
शासन से बालकों के लिए 97 और बालिकाओं के लिए 10 शौचालयों को सुधारने के लिए राशि दी गई, लेकिन धरातल पर स्थिति यह है कि 107 में से केवल 58 शौचालयों पर ही मरम्मत का कार्य शुरू हो पाया है। इनमें से एक भी शौचालय का कार्य अब तक पूरा नहीं हुआ है। जबकि खुद अधिकारी स्वीकार रहे हैं कि यह काम महज 4 से 5 दिन का है। इसके बाद भी काम न कराया जाना लापरवाही दिखाता है।
गौरतलब है कि 15 जून से स्कूलों का नया सत्र प्रारंभ होने जा रहा है। ऐसे में बच्चों को फिर से बदहाल और अस्वस्थ माहौल में पढ़ाई करनी होगी, जहां स्वच्छता और मूलभूत सुविधा जैसे शौचालयों का अभाव है। कई स्कूलों में तो शौचालय इस हद तक खस्ताहाल हैं कि वो खंडहर जैसी हो चुकी है। छत तक नहीं बची है, और पानी की सुविधा भी नदारद है। खास तौर पर बालिकाओं के स्कूल में शौचालय न होने से खराब स्थिति बनती है।
खाते ही नहीं बने तो काम कैसे हो
शासन राशि सीधे स्कूलों की विकास समितियों के खातों में भेजी जाती है ताकि स्थानीय स्तर पर काम हो सके। लेकिन बड़ी समस्या यह है कि अभी तक कई समितियों के बैंक खाते ही नहीं खुले हैं। इसका असर यह हुआ है कि न केवल शौचालय निर्माण की राशि अटक गई है, बल्कि कई स्कूल भवनों की मरम्मत और निर्माण कार्य भी समय पर शुरू नहीं हो पाए हैं।
नए सत्र में होगी बच्चों की उपस्थिति प्रभावित
अभिभावक और सामाजिक कार्यकर्ता इसे प्रशासनिक लापरवाही बता रहे हैं। अगर यही हालात रहे तो आने वाले सत्र में बच्चों की उपस्थिति भी प्रभावित हो सकती है। विशेषकर बालिकाएं ऐसी स्थिति में स्कूल आना छोड़ सकती हैं। जरूरत है कि जिम्मेदार अधिकारी इस दिशा में गंभीर कदम उठाएं और स्कूल खुलने से पहले शौचालयों की मरम्मत का कार्य पूरा कराएं। यदि यही हालात बने रहे, तो बच्चों का भविष्य केवल कागजों में ही संवारा जाएगा, जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर रहेगी।
दिखवाते हैं कि राशि आई या नहीं
स्कूल डाइस में जानकारी भर कर भेजते हैं और उसके आधार पर स्कूलों का चयन होता है। जिन स्कूलों ने शौचालयों की खराब स्थिति जानकारी भरी उनका चयन हुआ है। यह बात सही है कि कई स्कूल ऐसे हैं जिनमें शौचालय तो हैं, लेकिन फंक्शनल नहीं हैं। जो 107 स्कूल हैं शायद इनका पैसा नहीं आया है। देखना होगा कि राशि आई है या नहीं। ऋषि शर्मा, डीपीसी गुना