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बुरहानपुर की केले की फसल सात वर्षों से बीमा से वंचित — 26 हजार हेक्टेयर जोखिम में

 

Burhanpur News: जिले में केला फसल क्षेत्रफल लगभग 26,000 हेक्टेयर तक पहुँच चुका है, लेकिन इसके बावजूद केले को फसल बीमा योजनाओं में नियमित रूप से शामिल नहीं किया जा रहा है। किसान सालों से इसका अनुरोध कर रहे हैं परन्तु 2018 के बाद से केले को बीमा कवरेज से बाहर रखा गया है। किसानों का कहना है कि प्राकृतिक आपदाएँ और CMV वायरस जैसी बीमारियाँ रिक्तियों में भारी क्षति कर देती हैं, जिससे उन्हें हर साल लाखों रुपए का आर्थिक झटका सहना पड़ता है।

केला उत्पादन के महत्व के कारण जिले को ‘एक जिला — एक उत्पाद’ योजना के तहत प्रोत्साहन भी मिला है, पर फसल बीमा सहित सुरक्षा जाल ना होने से किसान असुरक्षित बने हुए हैं। बीमा कंपनियों की अनिच्छा और जोखिम आंकलन को बीमा योजनाओं में शामिल न करने का प्रमुख कारण बताया जा रहा है। नतीजा यह हुआ है कि किसानों को कटाई के बाद नुकसान, बाजार घटाव और प्राकृतिक जोखिम से होने वाले व्यवधानों की भरपाई के लिए कोई ठोस मुआवजा उपलब्ध नहीं रहता।

किसानों ने सुझाव दिया है कि केले को फसल बीमा में शामिल करने के साथ-साथ उपयुक्त प्रीमियम ढांचे, क्षति-मूल्यांकन के पारदर्शी मानक और त्वरित मुआवजा प्रणाली लागू की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर स्थानीय स्तर पर स्टोरेज व ठंडा भंडारण सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएं तो व्यापारी किसान पर दबाव बनाकर सस्ते भाव में खरीदने का मौक़ा कम हो जाएगा। प्रतिनिधि किसानों ने जनप्रतिनिधियों तथा प्रशासन से शीघ्र हस्तक्षेप की मांग की है और चेतावनी दी है कि विफलता पर वे संगठित रूप से अपनी आवाज़ और क़दम बढ़ाएँगे, ताकि केले की यह प्रमुख फसल बचाई जा सके और उत्पादकों की आजीविका सुरक्षित रहे।