इसरो के अहम मिशनों में बुरहानपुर के वैज्ञानिक दिनेश अग्रवाल की बड़ी भूमिका
Burhanpur News: भारत आने वाले वर्षों में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कई ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। सबसे बड़ा सपना है गगनयान मिशन, जिसके तहत 2027 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजा जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया है। इसी मिशन में अहम योगदान दे रहे हैं बुरहानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक दिनेश अग्रवाल, जो इसरो के अहमदाबाद सेंटर से जुड़े हैं। वे अपनी टीम के साथ गगनयान के कलपुर्जे और सब स्टेशन तैयार कर रहे हैं।
अग्रवाल और उनकी टीम भारत के भविष्य के अंतरिक्ष स्टेशन (2035 से 2040 तक प्रस्तावित) की नींव रखने में भी जुड़े हुए हैं। फिलहाल वे जी-20 सैटेलाइट और रिसोर्स सैट-2 जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं, जिनसे मौसम, कृषि और प्राकृतिक संसाधनों से जुड़ी सटीक जानकारी मिल सकेगी।
पिछले महीने इसरो और नासा ने मिलकर सेंथेटिक अपर्चर राडार प्रोजेक्ट पूरा किया। अहमदाबाद सेंटर पर तैयार हुए इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 12 हजार करोड़ रुपये रही, जिसमें भारत का 800 करोड़ और बाकी खर्च अमेरिका का रहा। इस सफलता में अग्रवाल की टीम का बड़ा योगदान रहा। अगले 90 दिनों में यह राडार मौसम, भूकंप और पर्यावरण से जुड़ी अहम जानकारियां देगा।
इसरो ने अगले तीन साल में 51 सैटेलाइट लॉन्च करने की योजना बनाई है। इनमें 23 सैटेलाइट इसरो बनाएगा और 28 निजी इंडस्ट्रीज तैयार करेंगी। इस साल एसआईजीआई सैटेलाइट के भी 50 साल पूरे हो रहे हैं, जिसे इसरो और नासा ने मिलकर लॉन्च किया था।
दिनेश अग्रवाल और उनकी टीम की चंद्रयान-3 में भी खास भूमिका रही। लैंडर और रोवर के इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों को बनाने में उनकी अहम जिम्मेदारी थी। इसी मिशन के तहत भारत ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को सफलतापूर्वक उतारकर इतिहास रच दिया।
13 मार्च 1968 को बुरहानपुर में जन्मे दिनेश अग्रवाल बचपन से ही पढ़ाई में मेधावी रहे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा सुभाष स्कूल में हुई और बाद में उन्होंने उज्जैन के सरकारी कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। आज वे इसरो के अहमदाबाद सेंटर में वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में देश को अंतरिक्ष विज्ञान की नई ऊंचाइयों तक पहुंचा रहे हैं।