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छोटे जिलों में लोन देने से बच रहे बैंक, जमा राशि तो बढ़ रही लेकिन कर्ज पर भरोसा कम

 

MP News: मध्यप्रदेश में लोग लगातार बैंकों में पैसा जमा कर रहे हैं, लेकिन जब उन्हें लोन की जरूरत होती है तो बैंक पीछे हट जाते हैं। प्रदेश का क्रेडिट-डिपॉजिट रेशियो सिर्फ 58.76% है, जबकि देशभर का औसत 75.91% है। इसका मतलब है कि जितना पैसा लोग जमा कर रहे हैं, उसका आधे से भी थोड़ा ज्यादा ही कर्ज के रूप में लौटाया जा रहा है।

खासकर खेती और छोटे कारोबार जैसे सेक्टरों में बैंक कर्ज देने में हिचक रहे हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों में लोन डूबने की दर ज्यादा है। कृषि क्षेत्र में एनपीए यानी डूबा हुआ कर्ज 11.89% और एमएसएमई में 5.41% तक पहुंच गया है। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में भी एनपीए क्रमश: 8% और 5.6% है।

हालांकि कुछ जिलों जैसे आगर-मालवा, मंदसौर, उज्जैन और धार में सीडी रेशियो में 5% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है, यानी इन जिलों में कर्ज वितरण बढ़ा है। वहीं पन्ना, सतना और डिंडोरी जैसे जिलों में यह घट गया है।हालांकि कुछ जिलों जैसे आगर-मालवा, मंदसौर, उज्जैन और धार में सीडी रेशियो में 5% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है, यानी इन जिलों में कर्ज वितरण बढ़ा है।

वहीं पन्ना, सतना और डिंडोरी जैसे जिलों में यह घट गया है। मैहर, सीहोर, अनूपपुर और पांडुर्णा जैसे छोटे जिलों में बैंक करोड़ों रुपए जमा तो करवा रहे हैं, लेकिन लोन देने में पीछे हैं। कई जिलों में तो सीडी रेशियो 54% से भी कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि बैंकों को जोखिम से डरने की बजाय रणनीति के साथ कर्ज देना चाहिए, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो सके।