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कुल्हाड़ी और आरी गांव: नाम औजारों पर, पर अब नहीं बनते कुल्हाड़ी

 

Shivpuri News: कोलारस तहसील में दो गांवों के नाम औजारों पर रखे गए हैं—कुल्हाड़ी और आरी। हालांकि आज इन गांवों में कोई औजार नहीं बनते, लेकिन एक समय में लोह पीटा परिवार कुल्हाड़ियां बनाता था। इसी वजह से गांव का नाम कुल्हाड़ी पड़ गया। कुल्हाड़ी गांव मुख्यालय से 18 किमी दूर नेशनल फोरलेन हाइवे के किनारे स्थित है, जबकि आरी गांव कुल्हाड़ी से केवल 3 किमी दूर है।

बुजुर्गों के अनुसार, कुल्हाड़ी गांव लगभग 250 साल पहले बसा था। कई पीढ़ियां यहां रहती आई हैं। करीब सौ साल पहले लोह पीटा परिवार गांव से चला गया और अब कुल्हाड़ी और अन्य औजार नहीं बनते। फिर भी गांव का नाम अपने इतिहास को याद दिलाता है।

कुल्हाड़ी गांव की आबादी लगभग 2800 है और यह ऊंचाई पर स्थित है। गांव की नल जल योजना सही से काम नहीं कर रही है, जिससे परिवारों को पीने का पानी दूसरे गांवों से टैंकर भरकर लाना पड़ता है। मोटर खराब होने पर ठीक होने में कई महीने लग जाते हैं। गर्मियों में पानी की समस्या सबसे अधिक रहती है।

इसके अलावा फसल सिंचाई की सुविधा भी कम है। गांव के आसपास जल स्तर लगभग 650 से 700 फीट है, जबकि आधा किमी दूरी पर जल स्तर केवल 250 फीट है। इस वजह से सिंचाई और खेती में कठिनाई होती है।

पुराने इतिहास और मौजूदा समस्याओं के बीच कुल्हाड़ी गांव आज भी अपनी पहचान बनाए हुए है, लेकिन जल और सिंचाई जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए अब भी संघर्ष करना पड़ता है।