45 साल बाद बदली जिला अस्पताल की कैंटीन व्यवस्था, अब मिलेगा इडली-परांठा
Guna News: जिला अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों के लिए रेडक्रास द्वारा संचालित कैंटीन में लंबे समय बाद महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। पिछले 45 वर्षों से एक ही ठेकेदार द्वारा चल रही कैंटीन का ठेका अब नए ठेकेदार को सौंपा गया है। यह कदम न केवल अस्पताल के लिए, बल्कि पूरे जिले की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में एक नई शुरुआत माना जा रहा है।
बुधवार से नए ठेकेदार ने कैंटीन संचालन संभाल लिया। इससे पहले यह जिम्मेदारी शैलेंद्र सिकवार के पास थी, जिन्होंने 1979 में मात्र 500 रुपए में ठेका लिया था। वर्षों के दौरान ठेका राशि बढ़कर 4 लाख 51 हजार रुपए तक पहुंच गई थी, लेकिन व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ था।
नए ठेकेदार के आने के बाद मरीजों को बेहतर सेवा, स्वच्छता और समय पर नाश्ता मिलने की उम्मीद है। अब न केवल चाय और सामान्य स्नैक्स, बल्कि इडली और परांठा भी उपलब्ध होंगे। इससे पहले कैंटीन में पोहा, समोसा, पकोड़ी, दूध और गर्म पानी जैसी चीजें मिलती थीं।
अस्पताल प्रबंधन ने इस बार कैंटीन ठेके की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए पहली बार ऑनलाइन टेंडरिंग अपनाई। इसमें कई व्यापारियों ने रुचि दिखाई, लेकिन सबसे ऊंची बोली विनायक ट्रेडर्स, गुना ने लगाई। नए ठेके की राशि 9 लाख 11 हजार 101 रुपए है, जो पिछली ठेका राशि से लगभग दोगुनी है। इससे अस्पताल प्रबंधन को भी अतिरिक्त राजस्व मिलेगा।
सहायक प्रबंधक ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में अस्पताल प्रबंधन ने कई पुरानी व्यवस्थाओं में बदलाव किए हैं। 17 साल बाद किचन का ठेका बदला गया, वहीं दो साल बाद वाहन स्टैंड का ठेका भी नए ठेकेदार को सौंपा गया। अब कैंटीन में आया यह परिवर्तन प्रशासन की पारदर्शिता और सेवा सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
हालांकि, नए ठेकेदार के आने के बाद भी कुछ शिकायतें सामने आई हैं। कुछ मरीजों और परिजनों ने खाने की क्वालिटी, खासकर लड्डू और अन्य नाश्ते की गुणवत्ता पर आपत्ति जताई है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि शिकायतों का समाधान जल्द किया जाएगा और मरीजों को गुणवत्तापूर्ण सेवा सुनिश्चित की जाएगी।
कैंटीन में यह बदलाव न केवल खाने की विविधता बढ़ाएगा बल्कि मरीजों और उनके परिजनों के लिए सुविधाजनक और सुरक्षित व्यवस्था भी प्रदान करेगा। प्रशासन का उद्देश्य है कि अस्पताल में आने वाले लोग समय पर नाश्ता और भोजन प्राप्त कर सकें और लंबी प्रतीक्षा से बचें।
इस तरह, जिला अस्पताल की कैंटीन में 45 साल बाद बदलाव ने न केवल पुराने रिकॉर्ड तोड़े बल्कि मरीजों और प्रशासन दोनों के लिए नई उम्मीदें भी जगाईं।