Chhatarpur News: निवारी में 350 फीट गहरे बोर सूखे
Chhtarpur News: गर्मी का मौसम शुरू होते ही जिले के ग्रामीण इलाकों में पानी की किल्लत होना शुरू हो जाती है। ऐसे कई गांव है, जहां यह समस्या बीते कई वर्षों से बनी हुई है। इसके बाद भी पंचायत और स्थानीय प्रशासन ग्रामीणों को होने वाली पानी की समस्या का निराकरण करने के प्रति ध्यान नहीं दे रहा। वैसे तो जिले के नगरीय और ग्रामीण इलाकों में नल योजना का काम चल रहा है। लेकिन योजना का कार्य अधूरा होने के कारण अभी लोगों को पानी की समस्या से निजात नहीं मिल पा रही है।
अगर जल्द ही बारिश शुरू नहीं हुई तो जिले के कुछ ग्रामीण इलाकों में आने वाले दिनों मे पानी की किल्लत और भी बढ़ जाएगी। स्थानीय लोगों के द्वारा कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से शिकायत की गई। लेकिन अब भी जिले के कुछ गांवों में पहले जैसे ही पानी की समस्या बनी है।
ऐसे में पानी के इंतजाम करने में ही ग्रामीणों का पूरा समय व्यतीत हो जाता है और वह अपने घर के दूसरे काम नहीं कर पाते। ऐसा नहीं है कि, पानी की किल्लत होने की जानकारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को नहीं है। लेकिन इसके बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता।
बूदौर पंचायत में हैंडपंप के पास सुबह 5 बजे से ही लोगों की भीड़ लग जाती है
जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर बूदौर पंचायत में 3 हजार जनसंख्या है। भू-जलस्तर मार्च में ही नीचे चला जाता है। गांव से मुख्य सड़क की ओर 1 किलोमीटर की दूरी पर एक हैंडपंप है। जिस पर गांव की 50 फीसदी जनसंख्या पानी के लिए निर्भर है। इस हैंडपंप की दूरी अधिक होने से लोग अपनी बाइक और साइकिलों पर पानी के डिब्बे टांगकर पानी भरते हैं।
ग्रामीणों ने बताया हैंडपंप के पास सुबह 5 बजे से ही भीड़ लग जाती है। इसके बाद पूरे दिन लोग पानी भरने के लिए यहां आते हैं। रात 10 बजे तक लगातार हैंडपंप से ग्रामीण पानी भरते हैं। गांव में सबसे अधिक समस्या हरिजन बस्ती में रह रहे लोगों को हो रही है।
ढिगपुरा पंचायत में पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण 6 माह में ही घट जाता है जलस्तर
महाराजपुर क्षेत्र के ढिगपुरा पंचायत में 3 हजार आबादी निवास करती है। गांव एक छोटी पहाड़ी पर बसा है। इस कारण गांव के सभी जल स्रोत गर्मी शुरू होने से पहले ही सूख जाते हैं। जिसके चलते गांव के 7 कुआं हर वर्ष फरवरी में ही सुख जाते हैं। वहीं गांव में लगे 6 हैंडपंप भी सूखे पड़े हैं।
गांव से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित मुख्य सड़क किनारे लगे हैंडपंप में पर्याप्त पानी है। जिससे लोग पानी भरते हैं। वहीं कुछ लोग किसानों के खेतों में स्थित जल स्रोतों से पानी भर रहे हैं। इतनी अधिक आबादी वाले इस गांव में साल में 6 माह पानी की कमी बनी रहती है। इसके बाद भी प्रशासन ने अभी तक कोई इंतजाम नहीं किए हैं।
पीएचई ने डाली पाइप लाइन, लेकिन सप्लाई शुरू नहीं
जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर निवारी पंचायत के खमरी गांव में 300 जनसंख्या है। यहां पानी की समस्या वर्षों से है। निराकरण करने प्रशासन ने गांव में पाइप लाइन बिछाई है। लेकिन पाइप लाइन में पानी सप्लाई के कोई इंतजाम नहीं है। ग्रामीणों ने बताया गांव में पानी का जलस्तर कम होने से बोरवेल कराने के बाद भी पानी की किल्लत है।
लोगों ने 350 फीट गहरे बोरवेल कराए हैं। लेकिन गर्मी का मौसम शुरू होते ही यह सूख जाते हैं। पीएचई विभाग ने कुछ दिन पहले पाइन लाइन बिछाई थी लेकिन उससे पानी की सप्लाई करने के कोई इंतजाम नहीं किए गए।
निराकरण होगा, टैंकर से सप्लाई करने के निर्देश देंगे
जिन पंचायतों में पानी की समस्या है, इसके लिए संबंधित जनपद सीईओ से बातचीत कर निराकरण कराया जाएगा। साथ ही पंचायत सचिव को टैंकर के माध्यम से पानी सप्लाई करने के निर्देश दिए जाएंगे। साथ ही नल जल योजना अंतर्गत पानी की सप्लाई क्यों नहीं हो रही इसकी जानकारी कर पानी सप्लाई की व्यवस्था भी की जाएगी। - मिलिंद नागदेवे, एडीएम, छतरपुर