बुरहानपुर बस स्टैंड पर रोज़ाना 200 बसें, लेकिन सुविधाओं का अभाव
Burhanpur News: महाराष्ट्र बॉर्डर से सटा बुरहानपुर का अंतरप्रांतीय पुष्पक बस स्टैंड रोज़ाना 200 से ज्यादा बसों की आवाजाही का गवाह बनता है। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात से आने-जाने वाली बसों में करीब 25 हजार यात्री सफर करते हैं। इतनी बड़ी संख्या में यात्री होने के बावजूद यहां सुविधाओं का टोटा है। यात्री और बस संचालक दोनों परेशान रहते हैं।
विकास तीन दशक से अटका
बस स्टैंड करीब 30 साल पुराना है। बढ़ती आबादी और वाहनों के दबाव को देखते हुए इसका विस्तार और आधुनिकीकरण नहीं हुआ। एक ओर हाईवे और दूसरी ओर घनी आबादी व व्यावसायिक भवन होने से यातायात पर लगातार दबाव बना रहता है।
मिनी बस स्टैंड की योजना ठप
चार साल पहले नगर निगम ने ताप्ती ब्रिज के पास मिनी बस स्टैंड बनाने की योजना बनाई थी। टेंडर भी हो गए थे और पुराने भवन को तोड़कर कुछ निर्माण शुरू हुआ। लेकिन ठेकेदार की मौत के बाद काम पूरी तरह रुक गया। आज तक यह परियोजना आगे नहीं बढ़ी।
बुनियादी सुविधाएं नदारद
त्योहारों में यात्री संख्या दोगुनी हो जाती है, लेकिन बस स्टैंड पर न शुद्ध पेयजल है, न पर्याप्त बैठने की व्यवस्था। जहां सीटें हैं वहां अतिक्रमण फैला है। पंखे और लाइट बंद रहते हैं। यात्री घंटों बस का इंतजार करते हैं लेकिन उन्हें आराम व सुरक्षा की मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलतीं।
हाईवे पर बसें और जाम
बुरहानपुर से सूरत, वापी, अहमदाबाद, बड़ौदा, जयपुर और हैदराबाद तक लंबी दूरी की स्लीपर बसें चलती हैं। ये बसें बस स्टैंड के अंदर जगह न मिलने पर हाईवे किनारे खड़ी रहती हैं। कई बार सामान भरने में घंटों लगते हैं, जिससे ट्रैफिक बाधित होता है और राहगीरों को परेशानी होती है।
अवैध पार्किंग बनी मुसीबत
बसों को निकालने के लिए हाईवे पर साइड पटरी बनाई गई थी। लेकिन अब वहां अवैध पार्किंग हो गई है। एक तरफ ऑटो और लोडिंग वाहन, तो दूसरी ओर निजी गाड़ियां कतार में खड़ी रहती हैं। बसों को बाहर निकलने में काफी मुश्किल होती है।
परिसर में अतिक्रमण और अव्यवस्था
बस स्टैंड परिसर के भीतर हालात और खराब हैं। लंबी दूरी की बस आते ही ऑटो चालक मनमर्जी से बसों के पास खड़े हो जाते हैं। यात्री उतरने से पहले ही ऑटो ड्राइवर बस के दरवाजे तक पहुंच जाते हैं। परिसर में 20 से ज्यादा हाथ ठेले भी घूमते रहते हैं, जिससे बसों की आवाजाही में बाधा आती है।