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टीकमगढ़ में 18 रेत खदानों का 5.5 करोड़ में ठेका, अवैध खनन जारी

 

Tikamgarh News: टीकमगढ़ जिले की 18 रेत खदानों का ठेका महालक्ष्मी ट्रेडर्स हरियाणा को लगभग साढ़े पांच करोड़ रुपए में मिला है। दो साल की आठवीं निविदा के बाद यह ठेका जारी हुआ है। विभाग के अनुसार, खनन का काम 1 अक्टूबर से शुरू होगा क्योंकि बारिश का सीजन 30 सितंबर तक माना जाता है।

हालांकि, जिले में बारिश का सामान्य से अधिक 112 प्रतिशत बारिश दर्ज की गई, जिससे नदियों-नालों में पानी और रेत का भराव हुआ। लेकिन बारिश के थमते ही माफिया सक्रिय हो गए हैं और अलग-अलग जगहों पर ट्रैक्टर-ट्रॉली लगाकर दिन-रात अवैध रूप से रेत निकाल रहे हैं। जतारा-पलेरा क्षेत्र में खुलेआम रेत खनन हो रहा है, जबकि खनिज विभाग की ओर से इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

जतारा, पलेरा और लिधौरा क्षेत्र की ये 18 खदानें हैं, जिनमें जतारा क्षेत्र के टानगा और हृदयनगर, लिधौरा क्षेत्र के वीरपुरा, महेबा चक्र-4, महोरी, उपरारा चक्र-2, पचौरा और पचघरा शामिल हैं। पलेरा क्षेत्र में करौला, कुबरी, दांतगोरा, खैरा विजयपुर, विजयपुर खैरा, कछौरा ऊगढ़, सैपुरा, टौरिया ऊगढ़ और गौना की खदानें हैं।

माफिया इन जगहों से प्रतिदिन 30 से 40 ट्रॉली रेत अवैध रूप से निकाल रहे हैं और 3500-4000 रुपए प्रति ट्रॉली कीमत पर बेच रहे हैं। खनिज विभाग की मूक प्रतिक्रिया के कारण अवैध कारोबार बढ़ रहा है, जिसे कई बार माफिया को संरक्षण दिए जाने से जोड़ा गया है।

माइनिंग कॉर्पोरेशन ने दो वर्षों में सात बार निविदा जारी की, लेकिन कोई ठेकेदार रुचि नहीं दिखा पाया। मार्च 2020 में पुराने ठेकों की अवधि समाप्त हो गई थी। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नई रेत नीति के तहत खदानें स्थानीय ग्राम पंचायतों को सौंपी गई थीं। बाद में माइनिंग कॉर्पोरेशन ने निविदा जारी की, पर ठेकेदारों ने काम करना बंद कर दिया। जून 2023 में जो ठेका था वह भी खत्म हो गया।

इस साल 29 अप्रैल को आठवीं बार निविदा निकाली गई, जिस पर महालक्ष्मी ट्रेडर्स ने ठेका लिया। 26 जून को खदानों के संचालन के लिए पत्र जारी किया गया और 1.38 करोड़ रुपए जमा भी किए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि 1 अक्टूबर से ठेकेदार काम शुरू करेगा।

खनिज विभाग के प्रभारी अधिकारी पीएस चौहान ने कहा कि अवैध खनन की जांच के लिए जल्द टीम गठित की जाएगी। अवैध खनन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी ताकि नदियों की सुरक्षा हो सके।