छतरपुर में लाल कड़क्का रामलीला का 128वां आयोजन, स्थानीय कलाकारों का योगदान
Chhatarpur News: छतरपुर शहर के महल परिसर में इस बार 128वीं लाल कड़क्का रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का शुभारंभ आज शनिवार को मुकुट पूजन के साथ तुलसीदास पर आधारित नाटक से होगा, जबकि इसका समापन 4 अक्टूबर को हवन, शांति और भंडारा के साथ किया जाएगा। रामलीला के दौरान स्थानीय कलाकार अपने अभिनय का प्रदर्शन करेंगे, और इसमें कोई भी कलाकार पारिश्रमिक नहीं लेता।
रामलीला का इतिहास 1897 से जुड़ा हुआ है। महाराज विश्वनाथ सिंह जू देव को महाराजा की पदवी मिलने पर उन्होंने लाल कड़क्का मंदिर के महंत मुंशी नरसिंह नारायण को रामलीला संचालन का दायित्व सौंपा। इसके बाद यह परंपरा निरंतर चलती रही। मुंशी के बाद महंत जगन्नाथ दास, महंत दयाल दास, महंत रूप दास, सियाराम दास, केशव दास, भरत दास, जानकी दास, महंत हरप्रसाद और अन्य महंतों ने रामलीला का संचालन किया। वर्तमान में समिति अध्यक्ष डॉ. स्वतंत्र शर्मा और संरक्षक मनीष दोसाज इसका संचालन कर रहे हैं।
इस वर्ष रामलीला में कई महत्वपूर्ण लीला और घटनाएं प्रस्तुत की जाएंगी। 15 सितंबर को मनु शतरूपा और रावण जन्म, 16 को राम जन्म, शंकर दर्शन और हनुमान राम बाल लीला, 17 को सीता जन्म और ताड़का वध, 18 को अहिल्या उद्धार और नगर दर्शन, 19 को धनुष यज्ञ और लक्ष्मण-परशुराम संवाद होंगे। 20 से 30 सितंबर तक क्रमिक रूप से राम विवाह, राम बारात, दशरथ प्रतिज्ञा, राम वन गमन, तमसा तीर विश्राम, राम केवट संवाद, शूर्पणखा नासिका, सीता हरण, राम सुग्रीव मित्रता, बाली वध, लंका दहन, विभीषण शरणागति और कई अन्य प्रमुख घटनाएं मंचित की जाएंगी।
1 अक्टूबर को नारांतक वध और रावण वध, 2 अक्टूबर को रावण दहन, 3 अक्टूबर को राम राज्याभिषेक और 4 अक्टूबर को हवन, शांति और भंडारा के साथ इस महापर्व का समापन होगा।
समिति अध्यक्ष ने बताया कि यह रामलीला स्थानीय कलाकारों की प्रतिबद्धता और मेहनत से संचालित होती है। इसका उद्देश्य न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखना है, बल्कि युवाओं और बच्चों में नैतिक मूल्यों और लोककथाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना भी है।
इस आयोजन की विशेषता यह है कि कलाकार अपनी प्रतिभा और समय दान में देते हैं और किसी से आर्थिक लाभ नहीं लेते। लाल कड़क्का रामलीला का यह कार्यक्रम छतरपुर के सांस्कृतिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है और आसपास के क्षेत्रों के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।