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Ratlam News: रतलाम के जावरा क्षेत्र में 18 किमी सड़क बनी मात्र 6 किमी, मुआवजा नहीं बांटने से रुका काम 

रतलाम के जावरा क्षेत्र में 18 किमी सड़क बनी मात्र 6 किमी, मुआवजा नहीं बांटने से रुका काम 
 

Ratlam News: रतलाम के जावरा क्षेत्र में एक सड़क का काम मुआवजा नहीं बांटने के कारण रुक गया है। यह सड़क कल 18 किलोमीटर में बनी थी जो अभी तक मात्र 6 किलोमीटर में बनी है। राजनीतिक श्रेय के लिए कोई काम जल्दबाजी में बिना प्लानिंग किया जाए तो हश्र क्या होता है, इसका उदाहरण बरगढ़-भैंसाना बायपास है। इसका काम नवंबर 2019 में शुरू हुआ था लेकिन अब तक बन नहीं सका। शुरुआत में भूमि अधिग्रहण की प्लानिंग नहीं की इसलिए निर्माण शुरू होते ही जहां निजी भूमि आई, वहां किसानों ने काम रुकवा दिया। दूसरे टेंडर के साथ मुआवजा की प्रक्रिया शुरू की लेकिन ये इतनी धीमी है कि अब तक आधे किसानों को भी मुआवजा नहीं बंटा। यही कारण है काम रुका हुआ है।

सिर्फ जहां सरकारी भूमि थी या जिन किसानों को मुआवजा बंट चुका केवल उतने हिस्से में ही डामर करके छोड़ दिया। अब अधूरे रोड का उपयोग भी कैसे हो क्योंकि कनेक्टिविटी नहीं है। यही हाल रहे तो इस साल भी ये काम पूरा हो जाएगा, इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती है। जावरा-नयागांव फोरलेन सिटी से निकल रहा। इसी का ट्रैफिक दबाव कम करने के उद्देश्य से ये स्वीकृत हुआ लेकिन साढ़े पांच साल से जिस तरह काम चल रहा, उसे देखते हुए यही कह सकते हैं कि काम के नाम पर टाइमपास चल रहा है। मामटखेड़ा के सचिन राठौर का कहना है कि महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट होने के बावजूद इतनी लापरवाही समझ से परे है। ना जनप्रतिनिधियों को कोई मतलब, ना प्रशासन ध्यान दे रहा है।

काम में तेजी लाए हैं, दिसंबर तक बन जाएगा: पीडब्ल्यूडी

पीडब्ल्यूडी एई सी.पी. दुबे का कहना है कि जिन किसानों को मुआवजा मिल चुका, उनसे रजिस्ट्री करवाने के प्रयास जारी है। जहां रजिस्ट्री नहीं हुई, वहां भी समन्वय बनाकर काम में तेजी लाए हैं। सिर्फ श्यामपुरा के 32 लोगों के अवॉर्ड बाकी है। इनकी विज्ञप्ति प्रकाशित हो चुकी। दावे-आपत्ति निराकरण के बाद राशि देंगे। शुक्रवार को ही राजस्व अधिकारियों के साथ जाकर किसानों को समझाइश दी ताकि काम ना रुके। दिसंबर 2025 तक बायपास बन जाएगा। 

एसडीओ किरण जमरा ने कहा अवॉर्ड में देरी हुई। फिर संपदा 2 में रजिस्ट्री के नए नियम व पहले भुगतान की शर्त आने से अधिग्रहण लेट हुआ। अब नियमित मॉनिटरिंग कर रहे हैं ताकि तय समय में काम पूरा हो।

प्रोजेक्ट लेट होने के 3 कारण

पहला : नवंबर 2019 में पीडब्ल्यूडी ने ये कहकर काम शुरू कर दिया कि कांकड़ यानी सरकारी जगह में बायपास बनेगा। भूमि अधिग्रहण की जरूरत नहीं इसलिए तब अधिग्रहण की प्लानिंग नहीं की और जल्दबाजी में काम शुरू कर दिया। निर्माण शुरू हुआ तो पता चला बीच में किसानों की भूमि आ रही। उन्होंने काम रुकवाया। प्रोजेक्ट लेट व लागत बढ़ी तो काट्रक्टर ने काम सरेंडर कर दिया। दूसरा: वर्ष 2021-22 में मुआवजा प्रावधान के साथ नए टेंडर हुए। काम भी शुरू हो गया और डेट लाइन 31 मार्च 2025 थी लेकिन इस बार भी समय पर भूमि अधिग्रहण नहीं कर पाए और ठेकेदार को काम रोकना पड़ा। सिर्फ जहां जगह थी, वहां बना दिया।

तीसरा : 205 किसानों की भूमि अधिग्रहण होगी। 11 करोड़ मुआवजा राशि रिजर्व है। नए नियम में किसानों से सहमति बनाकर रजिस्ट्री करवाना है लेकिन प्रशासन ने शर्त रखी रजिस्ट्री करवाएं, फिर राशि देंगे तो किसानों ने आपत्ति ली। फिर संपदा 2.0 आया, जिसमें पहले भुगतान की शर्त है इसलिए प्रशासन ने निर्णय बदला व राशि देना शुरू की। 110 किसानों को राशि मिल चुकी लेकिन रजिस्ट्री 48 की हुई। कभी किसान नहीं आते तो कभी अधिकारी नहीं मिलते, इस चक्कर में रजिस्ट्री नहीं हो रही। जबकि रजिस्ट्रार कार्यालय में दोनों पक्षकार व गवाह एक साथ आएं तभी रजिस्ट्री होगी।