नगर वन बनने से पहले ही खतरे में पर्यटक, हाथीपावा मार्ग पर हादसे का डर
Jhabua News: बरसात के मौसम में हाथीपावा की पहाड़ी पर हरियाली खूब निखर आई है। यही वजह है कि रोजाना यहां 500 से 600 लोग घूमने आ रहे हैं। लेकिन पहाड़ी से सड़क पर गिरते पत्थर पर्यटकों और राहगीरों के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। स्थिति यह है कि कई जगह बड़े-बड़े पत्थर सड़क पर आकर आधा रास्ता घेर चुके हैं। अफसरों की लापरवाही के कारण हादसे की आशंका लगातार बढ़ रही है। जबकि इसी पहाड़ी पर करीब 1.90 करोड़ रुपये की लागत से नगर वन विकसित किया जा रहा है।
यह मार्ग कुछ साल पहले पहाड़ी काटकर बनाया गया था और बाद में पक्का भी किया गया। यहां चढ़ाई के दोनों ओर ऊंची-ऊंची पहाड़ियां हैं। बारिश में कटाव बढ़ने से पत्थर खिसककर नीचे गिर रहे हैं। तिरंगे वाली पहाड़ी पर तो हालात और गंभीर हैं। कई स्थानों पर भारी पत्थर ऊपर अटके हैं, जो कभी भी लुढ़क सकते हैं। मुरम से बनी इस पहाड़ी में खतरा और ज्यादा है। यह समस्या न सिर्फ पर्यटकों बल्कि नजदीकी गांवों से गुजरने वाले लोगों के लिए भी परेशानी खड़ी कर रही है।नगर वन की तैयारी
हाथीपावा जंगल में नगर वन केंद्र सरकार की योजना के तहत बन रहा है। इस पर लगभग 1.90 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। रेंजर टी.आर. हटीला ने बताया कि योजना मार्च 2026 तक पूरी करनी है, हालांकि प्रयास रहेगा कि नवंबर तक काम समाप्त कर लिया जाए। फिलहाल मुख्य द्वार तैयार हो चुका है और आकर्षक गेट भी लगा दिया गया है। गेट को पुणे और इंदौर के कलाकारों ने विशेष डिजाइन दिया है।
तालाब और सड़क का निर्माण पूरा कर लिया गया है। बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले, चकरी और स्लाइड जैसे साधन भी आ गए हैं, जिन्हें जल्द ही लगाया जाएगा। नगर वन बन जाने के बाद यहां पर्यटकों की संख्या और बढ़ने की संभावना है। गेट लगने के बाद सुरक्षा कारणों से शाम 6 बजे से सुबह 8 बजे तक गार्डन बंद रहेगा, क्योंकि क्षेत्र में तेंदुआ और उसके बच्चे देखे गए हैं।सुरक्षा पर प्लानिंग
रेंजर दिनेश निगम का कहना है कि सड़क पर गिरे पत्थरों को प्राथमिकता से हटाया जाएगा। साथ ही अधिकारियों के मार्गदर्शन में स्थायी समाधान की योजना बनाई जाएगी, ताकि बारिश में दोबारा खतरा न बने।