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कैसे होता है इंडियन आर्मी के डॉग्स का सिलेक्शन,  कितनी होती है इनकी सैलरी? जानें 

 

 देश की सेवा में आज डॉग्स का भी बेहद अहम योगदान है। जवानों के साथ-साथ यह डॉग्स भी दुश्मन के नपाक इरादों को फेल करने की जिम्मेदारी निभाते हैं। इन डॉग्स को बेहद खास ट्रेनिंग दी जाती है।


कुत्तों को यूं ही वफादार नहीं कहा जाता है,यह कुत्ते कई बार अपनी समझदारी से देश की रक्षा करते हुए अपनी जान भी गवा देते हैं। इंडियन आर्मी में आज के दौर में 30 से अधिक डॉग यूनिट है। इंडियन आर्मी के एक यूनिट में लगभग 24 कुत्ते होते हैं और इन सभी कुत्तों को खास ट्रेनिंग देकर मिशन में शामिल किया जाता है।


 जॉइनिंग से पहले मिलती है कड़ी ट्रेनिंग


 अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद यह डॉग्स अपने सॉन्ग ने और शांत रहने की क्षमता के दम पर ड्रग्स की पहचान करने से लेकर विस्फोटक  सामानों तक का पता लगाते हैं। सेना में शामिल होने के पहले इन्हें खास ट्रेनिंग दी जाती है। इन कुत्तों को गार्ड ड्यूटी, गस्त, IED विस्फोटक को सुनकर सर्च करना और बारूद सुरंग के बारे में पता लगाने के लिए रखा जाता है।


 इन डॉग्स को मिलती है कड़ी ट्रेनिंग 

 इंडियन आर्मी में मुख्य रूप से जर्मन शेफर्ड, लैब्राडोर रिट्रीवर, कॉकर स्पेनियल, बेल्जियन मेलानोइस के अलावा कुछ खास देसी कुत्तों को भी शामिल किया जाता है। ट्रेनिंग से पहले इन कुत्तों का मेडिकल होता है इसके बाद इन्हें इसमें शामिल किया जाता है। इन कुत्तों को मुख्य रूप से मेरठ के रिमोट और वेटरनरी कॉप्स सेंटर एंड कॉलेज में ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के दौरान इन कुत्तों को कई तरह के गुण सिखाए जाते हैं।


 इन कुत्तों को 10 से 12 साल तक ड्यूटी पर रखा जाता है। सैन्य अभियानों के दौरान उनके हैंडलर से उनसे अलग-अलग तरह की ड्यूटी करते हैं। रिटायरमेंट के बाद इंडियन आर्मी के जवान इन्हें गोद ले लेते हैं और आखिरी सांस तक इनका ख्याल रखा जाता है। इंडियन आर्मी के डॉग्स को सैलरी नहीं मिलती है लेकिन उनके खान-पान और रखरखाव की पूरी जिम्मेदारी आर्मी उठाती है।