Success Story: सीहोर के डॉ नरेंद्र सिंह भाटी ने पहले गांव के बच्चे को शिक्षा से जोड़ा, अब उन्हीं के साथ मिलकर बना रहे हैं आत्मनिर्भर समाज
Success Story of Dr Narendra Singh Bhati: मध्य प्रदेश राज्य के सीहोर जिले में ग्रामीण पृष्ठभूमि में जन्मे डॉ. भाटी ने न केवल अपने लिए शिक्षा पाई, बल्कि अपने पूरे क्षेत्र के लिए शिक्षा के द्वार खोल दिए। आज वे नसरुल्लागंज में राय साहब भंवर सिंह स्कूल एवं कॉलेज का संचालन कर रहे हैं, जो 24 एकड़ में फैला एक 'ज्ञान और कौशल का आधुनिक तीर्थ' बन चुका है। यहां बच्चों के शिक्षा, करियर, खेल, तकनीक और संस्कृति का भी समन्वित विकास हो रहा है।
एक सपना जो संघर्ष से उपजा
डॉ. नरेंद्र सिंह भाटी का जीवन संघर्षों और संकल्पों की कहानी है। गांव में शिक्षा की कमी को देखते हुए वे स्कूल की पढ़ाई के लिए इंदौर और फिर कॉलेज के लिए भोपाल चले गए। बीएसएसएस कॉलेज से स्नातक के बाद उन्होंने लॉ और मैनेजमेंट में उच्च शिक्षा प्राप्त की। लेकिन पढ़ाई के दौरान एक बात उन्हें बार-बार झकझोरती रही "गांव के बच्चों को शिक्षा के लिए शहर क्यों जाना पड़ता है?" यही सवाल उन्हें वापस उनके गांव लाया। उन्होंने तय किया कि अगर अवसर गांव में मिलें तो प्रतिभाएं गांव में ही पनप सकती हैं। साल 2001 में उन्होंने अपने क्षेत्र में कॉलेज की शुरुआत की। लेकिन उनका सपना यहीं नहीं रुका।
वर्ष 2015 में उन्होंने 'राय साहब भंवर सिंह पब्लिक स्कूल' की स्थापना की, जिसकी शुरुआत एमपी बोर्ड से हुई और आगे चलकर इसे सीबीएसई से संबद्ध किया गया। यह स्कूल अब एक ऐसा संस्थान बन चुका है, जहां शिक्षा सिर्फ पुस्तकों तक सीमित नहीं, बल्कि हर छात्र की समग्र क्षमता का विकास केंद्र बिंदु है। राय साहब भंवर सिंह स्कूल और कॉलेज 24 एकड़ के सुव्यवस्थित परिसर में संचालित हैं। इसमें 400 मीटर एथलेटिक्स ट्रैक, क्रिकेट व फुटबॉल ग्राउंड, इंडोर और ओपन जिम, हॉर्स राइडिंग ट्रेनिंग, विज्ञान और टेक्नोलॉजी लैब्स, AI और रोबोटिक्स की सुविधाएं, एजुकेशनल टूर व एक्सपोजर प्रोग्राम्स किसी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
नई शिक्षा नीति को पूरी तरह अपनाया
डॉ. भाटी का मानना है कि शिक्षा का भविष्य तभी बदलेगा जब हम नई सोच को अपनाएंगे। उन्होंने अपने कॉलेज में नई शिक्षा नीति के तहत चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम लागू किया है। इससे छात्रों को मल्टीडिसिप्लिनरी विकल्प मिलते हैं, जो उन्हें सिर्फ एक विषय में नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सक्षम बनाते हैं। जल्द ही वे कॉलेज में लॉ और एमबीए प्रोग्राम शुरू करने जा रहे हैं, ताकि ग्रामीण क्षेत्र में भी पेशेवर शिक्षा उपलब्ध हो सके। कॉलेज और स्कूल परिसर में हॉस्टल सुविधा भी प्रस्तावित है, ताकि दूर-दराज से आने वाले छात्र एक सुरक्षित और अध्ययन-सहायक वातावरण में शिक्षा प्राप्त कर सकें। वहीं दूसरी ओर, आसपास के गांवों तक स्कूल बस सेवा चलाई जा रही है।
डॉ. भाटी की सोच साफ है, शिक्षा का अधिकार सबको है। इसी मूलमंत्र के साथ वे आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को छात्रवृत्ति देते हैं और RTE के अंतर्गत बच्चों को निःशुल्क शिक्षा भी मुहैया कराते हैं। वे कहते हैंसंसाधनों की कमी बच्चों के सपनों की राह में बाधा नहीं बननी चाहिए। डॉ. नरेंद्र सिंह भाटी ने नसरुल्लागंज को सिर्फ शैक्षणिक मानचित्र पर नहीं, बल्कि सपनों और संभावनाओं के नक्शे पर भी स्थापित किया है। उनकी दूरदर्शिता, संघर्ष और समर्पण ने यह सिद्ध कर दिया कि अगर कोई ठान ले, तो गांव में भी ग्लोबल लेवल की शिक्षा व्यवस्था खड़ी की जा सकती है।