मां की कठोर तपस्या ने बेटी को बना दिया ओलंपियन मेडलिस्ट, बेटी स्टेडियम में करती है अभ्यास, बाहर मां का इंतजार
एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वालीं पहली भारतीय एथलीट। 31 पदक जीते। पेरिस ओलंपिक-24 में 10 मी. एयर पिस्टल व्यक्तिगत-मिक्स्ड में दो कांस्य जीते। मनु भाकर का यह परिचय जितना सहज है, मां सुमेधा भाकर का संघर्ष कहीं ज्यादा।
बेटी की सफलता के लिए उन्होंने खूब संघर्ष किया। मनु शुक्रवार को भोपाल आईं। शनिवार को 23वीं कुमार सुरेंद्र सिंह मेमोरियल शूटिंग चैंपियनशिप में खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाया। सुमेधा ने पत्रिका से संघर्ष साझा किया।
मुझे अपने नाम से लोग जानें’
सुमेधा ने बताया, मनु चौथी कक्षा में थी, तब कहा था-‘मुझे अपनी पहचान बनानी है।’ लोग हमें आपके नाम से नहीं, अपने नाम से जानें। तभी उसकी सोच का पता चल गया था। तभी से हमारे संघर्ष के दिन शुरू हो गए। उसने हर खेल में हाथ आजमाया। शूटिंग में बेहतर परफॉर्म किया और इसे ही कॅरियर चुन लिया।
बेटी अंदर और बाहर मां का इंतजार
वि शनखेड़ी में शूटिंग एकेडमी में शनिवार को मनु पहुंचीं। 10 और 25 मीटर एयर पिस्टल में निशाना साधा। इसे देख शूटिंग चैंपियनशिप में शामिल प्रतिभागियों ने निशानेबाजी के गुर सीखे। मनु अंदर निशाना लगा रही थीं, मां सुमेधा भाकर 40 डिग्री तापमान में बाहर बेंच पर बैठीं थीं।
वे मनु का इंतजार कर रही थीं। वे बोलीं-अमूमन हर जगह एसी में रहती हूं, विटामिन डी की कमी हो गई है। डॉक्टर ने धूप में बैठने को कहा है, लेकिन बेटी को आसमां पर देखने के लिए यह धूप तीखी नहीं है।