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Success story: मां ने सब्जी बेचकर और पिता ने मजदूरी कर पढ़ाया, बेटा बना सहायक कुलसचिव

 

Success story: मानेसर को पर सब्जी बेचकर और पिता ने मुश्किल हालातों में मजदूरी कर अपने बेटे को बड़ा अफसर बनने के लिए दिन रात एक कर दी। माता-पिता के संघर्ष से बेटे ने भी अपनी मेहनत के बल पर आज सहायक कुलसचिव का पद हासिल कर परिवार का नाम रोशन कर दिया। सफलता एक दिन में नहीं मिलती लेकिन एक दिन जरूर मिलती है। इन शब्दों को चरितार्थ किया है मंदसौर (Mandsaur) के नीलकमल कुमावत ने। वे महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में सहायक कुलसचिव हैं। कुमावत को इस पद पर एक साल पूरा हो गया है। एमपीपीएससी में पहली रैंक लाना और सहायक कुलसचिव पद का मुकाम हासिल करने के पीछे उनके 9 साल के परिश्रम के साथ माता-पिता का कठिन संघर्ष भी है। जो आज हर गरीब व मध्यम वर्ग के परिवारों के बच्चों के लिए प्रेरणा है।

शहर के रामटेकरी क्षेत्र में रहने वाले नीलकमल की माता राधाबाई सब्जी बेचती हैं। वहीं पिता कैलाशचंद्र कुमावत मकान बनाते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद माता-पिता ने बेटों को शिक्षा से दूर नहीं होने दिया। नीलकमल ने 12वीं तक की पढ़ाई उत्कृष्ट स्कूल और एमएससी पीजी कॉलेज मंदसौर से की। आर्थिक तंगी के चलते नीलकमल ने 12वीं के बाद बच्चों को घर पर कोचिंग व निजी स्कूल में पढ़ाना शुरू किया।

कई मौके ऐसे भी आए, जब उन्होंने अपनी मां के साथ सब्जी बेची तो मजदूर नहीं मिलने पर पिता के साथ मजदूरी का काम भी किया। लगातार परिश्रम के दम पर उन्होंने एमपी पीएससी 2022 में पहली रैंक पर चयनित होकर अपने माता-पिता का सपना पूरा किया।

शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए शुरू की पहल

नीलकमल के प्रोत्साहन का ही प्रतिफल रहा कि छोटे भाई नितिन कुमावत का भी पटवारी पद के लिए चयन हुआ। वे फिलहाल भानपुरा में पदस्थ हैं। जबकि एक छोटा भाई प्राइवेट सेक्टर में कार्यरत है। अपने संघर्ष को महसूस करके नीलकमल ने बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने की पहल शुरू की है। कुमावत बताते हैं कि आज भी कई विद्यार्थी उचित गाइडेंस नहीं मिलने के चलते सफलता हासिल नहीं कर पाते हैं। ऐसे बच्चों के लिए कॅरियर गाइडेंस करने के साथ हरसंभव मदद करने के प्रयास हैं ताकि सभी को मेहनत का फल मिल सके।

5 परीक्षओं में असफलता मिलने के बाद भी नहीं मानी हार 

कुमावत का वर्ष 2015 में फॉरेस्ट गार्ड के पद पर लिखित परीक्षा में चयन हुआ लेकिन एमपीपीएससी की तैयारी जारी रखी और आगे की प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया। इस तरह फिर दिल्ली पुलिस व रेलवे में भी लिखित परीक्षा के चयन तक पहुंचे। वर्ष 2017 की भर्ती में नीलकमल का चयन पटवारी के पद पर हुआ। जिले के सीतामऊ में 2018 में पटवारी पद पर ज्वॉइन किया। यहां करीब साढ़े पांच साल सेवा दी। इस बीच राज्य वन सेवा की फॉरेस्ट रेंजर व एसडीओ पद के लिए परीक्षा में वर्ष 2020 व 2022 में इंटरव्यू प्रक्रिया तक भी पहुंचे व एक का रिजल्ट होल्ड रहा। लेकिन हार नहीं मानी और अंततः एमपीपीएससी 2022 की परीक्षा परिणामों में पहली रैंक अर्जित कर सहायक कुलसचिव के पद पर नियुक्त हुए।