प्राइवेट स्कूलों पर सरकार की सख्ती, महंगी किताबें बेचने, यूनिफॉर्म बदलने, बैग का वजन भी किया निश्चित
शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से ही शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी सरकार सख्त हो गई है। प्राइवेट स्कूलों को एडवाइजरी जारी कर निर्देश दिए गए हैं। निर्देशों में कहा गया है कि अभिभावक पर प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबें खरीदने का दबाव न बनाएं। वहीं स्कूल बैग के वजन के नियम को सख्ती से फॉलो करें। हर साल यूनिफॉर्म न बदलने समेत 6 निर्देश दिए गए हैं। आरटीई के नोडल अधिकारी अमित मनहर ने बताया कि जो स्कूल नियमों का पालन नहीं करते तो अभिभावक शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं। इसके लिए ई-मेल आईडी और मोबाइल नंबर जारी किया गया है।
स्कूलों में जाकर अधिकारी जांच करेंगे। जो स्कूल नियमों का उल्लंघन करते पाया जाता है तो उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई के लिए रिपोर्ट शिक्षा विभाग सौंपेंगे। डीईओ, डीईईओ ने सभी स्कूलों को पत्र भेजकर निर्देशों की पालना करने के आदेश जारी कर दिए हैं। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी बूटा राम ने बताया कि हर ब्लॉक में बीईओ की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है, जिसमें दो सीनियर प्रिंसिपल को शामिल किया है। निगरानी कमेटी हर सप्ताह सोमवार को रिपोर्ट बनाकर शिक्षा विभाग को सौंपेंगे। निजी स्कूलों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 और हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम 2013 की पालना नहीं हो रही। स्कूलों में इसकी पालना करने के लिए कमेटी गठित की गई है। अभिभावक शिक्षा विभाग के 01666465179 या deeosirsa2@gmail.com पर शिकायत कर सकते हैं।
एनसीईआरटी और सीबीएसई की किताबें अनिवार्य
कई स्कूल प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबें खरीदने का दबाव बना रहे हैं, जोकि शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई एक्ट) और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विरुद्ध है। स्कूलों को केवल एनसीईआरटी या सीबीएसई से मान्यता प्राप्त पुस्तकों को ही अनिवार्य बनाना चाहिए।
यूनिफॉर्म में न हो बार-बार बदलाव:
यूनिफॉर्म में हर साल बदलाव न किया जाए। विभाग ने इसे अनुचित व्यापारिक गतिविधि मानते हुए स्पष्ट किया है कि हर वर्ष यूनिफॉर्म नई खरीदने से माता-पिता पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ता है। उन्हें अधिकृत विक्रेताओं से ही ड्रेस खरीदने के लिए मजबूर न किया जाए।
पुरानी किताबों के इस्तेमाल के लिए किया जाए प्रोत्साहितः हर बार स्कूल कुछ किताबों में मामूली बदलाव कर देता ।
इससे पेरेंट्स नए सिरे से सिलेबस खरीदने के लिए मजबूर होते हैं। छात्रों को पुरानी किताबें उपयोग करने से हतोत्साहित नहीं करना चाहिए।
अपनी बोतल में पानी लाने के लिए मजबूर न करें:
कुछ स्कूलों में छात्रों को केवल अपनी बोतल से पानी पौने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जबकि नियम के अनुसार हर स्कूल में शुद्ध पेयजल की उपलब्धता अनिवार्य है। बच्चों को स्कूल के अंदर पानी पीने से वंचित रखना नियमों के खिलाफ है। ऐसा करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
कक्षा 1 से 2 के बच्चे का बैग डेढ़ किलो से ज्यादा भारी न होः निजी स्कूल छोटे-छोटे बच्चों पर भारी भरकम बैग लाद देते हैं। बचपन के लिहाज से यह उनकी सेहत के लिए नुकसानदेय है। ऐसे में स्कूली बैग के वजन के मानदंडों का पालन भी आवश्यक बताया गया है।
नियमों की पालना नहीं करेंगे तो की जाएगी कार्रवाई
निजी स्कूलों में फीस बढ़ाने, पुस्तकों की खरीद, वर्दी बदलने व आरटीई की पालना करवाने का पत्र मिला है। स्कूलों को पत्र भेज दिया गया है। निगरानी के लिए कमेटियां गठित की गई हैं। जो स्कूल नियमों की पालना नहीं करेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इस प्रकार रहेंगे बैग के वजन
कक्षा एक और दो तक डेढ़ किलोग्राम वजन रहेगा।
कक्षा तीसरी से पांचवी तक दो से तीन किलोग्राम वजन रहेगा।
कक्षा छठी से सातवीं 4 किलोग्राम वजन
कक्षा आठवीं 9वीं 4.5 किलोग्राम वजन रहेगा।
कक्षा दसवीं 5 किलोग्राम भजन रहेगा