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Success Story: असफलता मिलने पर भी नहीं मानी हार, परिवार ने हिम्मत बढ़ाई तो बढ़ा आत्मविश्वास, डिप्टी कलेक्टर बन अब बेटियों की शिक्षा को लेकर लिया संकल्प

 

Success Story: मंदसौर जिले की बेटी रुचि ने डिप्टी कलेक्टर बनकर अपने परिवार और पूरे जिले का नाम रोशन कर दिया है। रुचि नहीं सफलता पर कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि उत्कृष्ट विद्यालय मंदसौर में पढ़ते हुए जो सपना देखा था, आज वह हकीकत में बदल गया है।

ऑल एमपी छठी रैंक लाकर डिप्टी कलेक्टर की पोस्ट हासिल की है तो जाहिर सी बात है बहुत खुश हूं...। अब इस बात को लेकर संकल्पित भी हूं कि ग्रामीण विकास व बेटियों की शिक्षा के लिए कुछ करना है। 4 बार सफल नहीं होने के चलते निराशा रही। थोड़ा तनाव भी आया लेकिन मुझे अपने आप पर विश्वास था।

अंदर से ही ये बात आती थी कि सफलता जरूर मिलेगी। इसके अलावा घर वालों और साथियों ने जो हिम्मत दी वह अद्भुत रही। मैंने हमेशा से इस बात को महसूस किया है कि ग्रामीण जीवन थोड़ा कठिन होता है। बेटियों की पढ़ाई को लेकर समाज में आज भी वह क्रांति नहीं है।

ऐसे में मेरी प्राथमिकता रहेगी कि प्रशासनिक कार्यों के अलावा बालिका शिक्षा व ग्रामीण विकास पर जोर दूं। इससे न सिर्फ किसी एक क्षेत्र या समाज बल्कि सभी का सर्वांगीण विकास संभव है। मैंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई गांव पीपलखूंटा में ही पूरी की। इसके बाद उत्कृष्ट स्कूल मंदसौर आगे की पढ़ाई की। पीजी कॉलेज से कम्प्यूटर साइंस में बीएससी की है। 

इसके बाद एमपीपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। ये 5वां अटेंप्ट था। दो के अभी परिणाम नहीं आए व दो में असफलता मिली थी। तब अचानक से निराशा व तनाव आया था। पापा मोहनलाल जाट व मां यशोदा ने बहुत हिम्मत दी। कभी कोई परेशानी नहीं आने दी। 2022 में जब फाइनल नहीं हुआ तब सबसे ज्यादा परेशान हुई थी। तब एक मेंटर थे जिन्होंने बहुत मोटिवेट किया। मेरा एक छोटा भाई व तीन बहनें हैं।

सफलता का मूलमंत्र धैर्य, सिलेबस कंसिस्टेंट रहना

सफलता का मूलमंत्र भी पीएससी में ही छिपा है। पी से पेशेंस, एस से सिलेबस व सी से कंसिस्टेंट रहना। ये तीनों बहुत जरूरी हैं। तैयारी कर रहे युवाओं को सफलता के लिए कंसिस्टेंसी यानी निरंतरता बनाए रखनी होगी। बार-बार असफल होने के बाद भी यदि निरंतरता बनी रही और सही दिशा में मेहनत की तो सफलता जरूर मिलेगी। सेल्फ स्टडी पर फोकस करना बहुत जरूरी है।