गांव-शहर में पानी की आपूर्ति ठहरी, अधूरा निर्माण लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ा रहा
Dhaar News: अमृत योजना 2.0 के तहत शहर में घर-घर पानी पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू किया गया पाइपलाइन निर्माण काम अब ठप पड़ा हुआ है और इसका सीधा असर नागरिकों की रोजमर्रा की ज़िन्दगी पर पड़ रहा है। जनवरी में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य 36 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाकर हजारों नलों से पानी पहुँचाना था, पर भुगतान न मिलने के कारण ठेकेदार ने कार्य रोक दिया है। परिणामस्वरूप कई सड़कों और गलियों में खोदी गई जगहों का मलवा बीच रास्ते पर पड़ा है और कुछ मोहल्लों में तो चार पहिया वाहन भी घर तक नहीं पहुँच पा रहे।
योजना के दस्तावेज के अनुसार यह परियोजना कुल 883.54 लाख की अनुमानित लागत से तीन नई जल टंकियों और विस्तृत पाइप लाइन नेटवर्क के निर्माण का कार्य था। योजनाबद्ध समय में 3 जनवरी 2025 को काम शुरू हुआ और समापन जून 2026 निर्धारित था, लेकिन अब केवल पाइप बिछाने का कुछ हिस्सा ही अनियमित तरीके से किया गया दिखता है। कई स्थानों पर पाइप्स को नाली में दबाकर नहीं डाला गया बल्कि सड़क किनारे ही पटक दिए गए हैं, जिससे बारिश के बाद सड़क धंसने और बड़े गड्ढे बनने का खतरा बढ़ गया है।
स्थानीय क्षेत्रों में सीसी रोड तोड़ कर रख दिए गए बड़े-बड़े कंक्रीट के टुकड़े और मिट्टी के टीले पैदल और वाहन आवागमन दोनों के लिए बाधक बन गए हैं। इससे बुजुर्गों, छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को खास परेशानी उठानी पड़ रही है; कचरा उठाने, दवा लेने और आकस्मिक सेवाओं के आवागमन में बाधा आ रही है। कई नागरिकों ने बताया कि न केवल आवागमन प्रभावित हुआ है, बल्कि कहीं-कहीं पानी के लिए दी जाने वाली नई कनेक्शन की प्रक्रिया भी अटकी हुई है।
ठेकेदार के अनुसार अब तक किए गए काम का करीब ढाई करोड़ रुपये का बिल लंबित है और केन्द्र से धनराशि के आवंटन में देरी के कारण भुगतान रुका हुआ है। उन्होंने कहा कि भुगतान मिलते ही कार्य पुनः आरम्भ कर दिया जाएगा। नगर प्रशासन ने भी बताया है कि केंद्रीय आवंटन के बारे में पुष्टि की जा रही है और धन मिलते ही आवश्यक मरम्मत व सुरक्षा उपाय करवाए जाएंगे।
स्थानीय निवासी और मोहल्ला समितियाँ दोनों ही प्रशासन से तत्काल वैकल्पिक व्यवस्थाएँ और सुरक्षा उपाय अपनाने की मांग कर रहे हैं। वे चाह रहे हैं कि निर्माण क्षेत्र में स्पष्ट चेतावनी संकेत लगाकर, रात के समय कार्यस्थलों पर प्रकाश व्यवस्था करके और तात्कालिक तौर पर वैकल्पिक मार्ग तय कर कचरा व आपातकालीन सेवाओं की आवाजाही सुनिश्चित की जाए।
नागरिकों ने साथ ही पारदर्शिता और संवाद की भी मांग की है ताकि परियोजना की वित्तीय स्थिति और शेष कार्यों की समय-सीमा के बारे में जानकारी मिल सके और आगे की देरी कम हो। जितनी जल्दी धनराशि मुहैया कराई जाएगी, उतनी ही जल्दी अधूरे हिस्सों को बांधकर सड़कें तथा सार्वजनिक सेवाएँ सामान्य की जा सकेंगी, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है।