धार शहर में बिना केमिकल फिल्टर किए सप्लाई हो रहा पानी, बढ़ रही बीमारियां
Dhaar News: धार शहर में लोगों को जो पानी सप्लाई किया जा रहा है, उसमें न तो एलम मिलाया जा रहा है और न ही ब्लीचिंग पाउडर। पानी फिल्टर प्लांट से बिना किसी शुद्धिकरण प्रक्रिया के सीधे घरों तक पहुंच रहा है। इसका असर अब लोगों की सेहत पर साफ नजर आने लगा है। जिला अस्पताल में उल्टी, दस्त, पेट दर्द, टाइफाइड और पीलिया जैसे मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
शुद्ध पेयजल के लिए जरूरी एलम और ब्लीचिंग पाउडर का स्टॉक नगरपालिका के पास पूरी तरह खत्म हो चुका है। अधिकारियों का कहना है कि टेंडर की नई दरें स्वीकृत होने में देरी हुई, इसी कारण आपूर्ति में रुकावट आई। हालांकि दावा किया गया है कि शाम तक एलम और ब्लीचिंग प्लांट तक पहुंच जाएगा।
फिलहाल धार शहर में करीब 11 हजार नल कनेक्शन हैं और रोज़ाना लगभग 1.70 करोड़ लीटर पानी की खपत होती है। तय नियमों के अनुसार पानी एक दिन छोड़कर सप्लाई किया जाना चाहिए, लेकिन अब 3 से 4 दिन में एक बार ही पानी सप्लाई हो रहा है। शहर में दो फिल्टर प्लांट हैं, एक 9.3 एमएलडी और दूसरा 2 एमएलडी का।
दोनों ही प्लांट पर ब्लीचिंग और एलम का स्टॉक खत्म हो चुका है।जानकारी के अनुसार एक दिन में लगभग 150 किलो ब्लीचिंग पाउडर की जरूरत होती है, लेकिन नगरपालिका के पास आधा किलो भी नहीं बचा है। केवल दिखावे के लिए कुछ एलम के टुकड़े प्लांट पर रखे गए हैं।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि बिना एलम और ब्लीचिंग के पानी फिल्टर नहीं होता और रॉ वाटर यानी कच्चा, गंदा पानी ही लोगों तक पहुंच रहा है। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। बताया गया कि पिछले साल की तुलना में इस बार पीलिया के मरीज 5 गुना ज्यादा आ चुके हैं। जिनके पास सुविधा है, वे पानी की कैन मंगवा रहे हैं, लेकिन गरीब और मध्यम वर्ग के लोग वही गंदा पानी पीने को मजबूर हैं।
फिल्टर प्लांट में दिखावे के लिए लैब बनाई गई है, लेकिन वहां पानी की टर्बिडिटी (गंदेपन की मात्रा) की कोई जांच नहीं की जाती। कर्मचारी अनुमान के आधार पर एलम और ब्लीचिंग डालते हैं, वह भी जब स्टॉक में हो।नगरपालिका अधिकारियों का कहना है कि केमिकल फर्म से माल रवाना हो चुका है और जल्द ही प्लांट पर पहुंचेगा। तब तक लोगों को असुरक्षित पानी पीना पड़ रहा है।