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राजगढ़ अस्पताल में स्टाफ की कमी, रात में मरीजों को नहीं मिल पा रहा इलाज

 

Dhaar News: राजगढ़ शहर के शासकीय अस्पताल में मरीजों को रात में उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। इसके पीछे मुख्य वजह है अस्पताल के स्टाफ के लिए बनाए गए दो क्वार्टर खाली पड़े होना। अस्पताल भवन के पीछे बने ये क्वार्टर स्वास्थ्य विभाग द्वारा करीब 6 माह पहले बनकर तैयार हुए, लेकिन अभी तक इनमें कोई डॉक्टर या अन्य कर्मचारी निवासरत नहीं हैं।

ग्रामीणों और नगरवासियों का कहना है कि रात में आपातकालीन स्थिति में अस्पताल बंद होने के कारण उन्हें निजी अस्पतालों की ओर जाना पड़ता है, जिससे उपचार महंगा हो जाता है। अस्पताल परिसर में नियमित सफाई नहीं होने से गंदगी और झाड़ियों की समस्या भी बनी रहती है। पुराने भवन में पानी रिसने और जर्जर हालत के कारण मरीजों और स्टाफ दोनों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

अस्पताल में केवल तीन डॉक्टर पदस्थ हैं। इसके चलते दिन में भी 50 से कम मरीज ही पहुंच पाते हैं, जबकि आसपास के निजी क्लीनिकों में सैकड़ों मरीज प्रतिदिन इलाज करवा रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग के उपयंत्री ने बताया कि स्टाफ क्वार्टर का काम पूरा हो चुका है और हैंडओवर की प्रक्रिया भी हो चुकी है। इसमें एक क्वार्टर डॉक्टर अरुण मोहरानी को, एक क्वार्टर डॉ. इशा कुरीलर को और एक अन्य क्वार्टर स्टाफ नर्स पल्लवी पटेल को आवंटित किया गया है। दोनों डॉक्टर और नर्स के यहां निवास करने से रात में मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जा सकेगी।

हालांकि, क्वार्टर में स्टाफ की तैनाती और आवंटन की प्रक्रिया अभी चल रही है। डॉक्टरों का कहना है कि जल्द ही इन क्वार्टरों में स्टाफ रहने लगेगा, जिससे अस्पताल की सेवाओं में सुधार होगा और मरीजों को आपातकालीन स्थिति में भी इलाज मिल सकेगा।

राजगढ़ और आसपास के गांवों के लोग इस सरकारी अस्पताल पर निर्भर हैं, इसलिए क्वार्टरों में स्टाफ की तैनाती और अस्पताल की व्यवस्था को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।