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एनएच-56 पर गड्डे और खराब सड़क, गिट्टी-मुरम से किया जा रहा फौरी मरम्मत

 

Dhaar News: आलिराजपुर जिले के आम्बुआ से सेजावाड़ा तक नेशनल हाइवे-56 की स्थिति बेहद खराब है। यह सिंगल लेन सड़क लंबे समय से टू-लेन बनने की योजना में फंसी हुई है, और सड़क निर्माण का काम फाइलों में ही अटका हुआ है। इसके चलते वाहन चालकों को रोजमर्रा की यात्रा में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

बारिश के बाद सड़क पर बने गड्डों को भरने के लिए फिलहाल केवल गिट्टी और मुरम का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि यह अस्थायी राहत देने वाला उपाय है, लेकिन भारी वाहनों के दबाव और लगातार पानी के कारण गिट्टी-मुरम जल्दी उखड़ जाती है और सड़क की हालत और खराब हो जाती है।

भारी वाहनों के दबाव और सिंगल लेन होने के कारण वाहन चालकों को सामने से आने वाले वाहनों को साइड देने के लिए सड़क के किनारे उतरना पड़ता है। इससे दुर्घटना का खतरा लगातार बना रहता है। चंद्रशेखर आजाद नगर से गुजरात सीमा स्थित सेजावाड़ा तक के 12 किमी के हिस्से को तय करने में वाहन चालकों को लगभग 25 मिनट लग जाते हैं, जो सामान्य स्थिति में बहुत कम समय में पूरा हो जाता।

सड़क के विभिन्न हिस्सों में गड्डे और कीचड़ की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है। ग्राम काकड़बारी और बारी फलिया जैसे हिस्सों में गड्डों में पानी भरा है और फौरी राहत के लिए उसमें गिट्टी-मिट्टी मिलाकर डाली गई है। इससे कीचड़ बन गया है, जो यात्रियों के लिए खतरनाक है। कई वाहन चालक अपनी सुरक्षा के लिए सावधानी बरतते हुए धीरे-धीरे गुजरते हैं।

एनएचएआई का कहना है कि फिलहाल बारिश के चलते डामर से स्थायी मरम्मत नहीं की जा सकती। जब मौसम स्थिर होगा, तभी पूरी तरह से सड़क का पेचवर्क किया जाएगा। वाहन चालकों का मानना है कि गिट्टी-मुरम की बजाय डामर से मरम्मत होना चाहिए ताकि सड़क सुरक्षित और टिकाऊ बने।

इस सिंगल लेन सड़क की टू-लेन परियोजना लगभग चार साल पहले स्वीकृत हुई थी, लेकिन अब तक कार्य शुरू नहीं हो पाया। यह मार्ग जिले को गुजरात से जोड़ता है और भारी ट्रैफिक के कारण सड़क पर दबाव अधिक है। लगातार खराब सड़क की स्थिति ने ग्रामीण क्षेत्रों और व्यापारिक वाहनों की यात्रा को जोखिम भरा बना दिया है।

स्थानीय लोगों और वाहन चालकों की मांग है कि प्रशासन जल्द से जल्द टू-लेन परियोजना शुरू करे और गड्डों की अस्थायी मरम्मत के बजाय स्थायी डामर पैचवर्क किया जाए। फिलहाल, गिट्टी और मुरम के माध्यम से किए जा रहे मरम्मत कार्य केवल तात्कालिक समाधान प्रदान कर रहे हैं और लंबे समय तक समस्या को हल नहीं कर पा रहे हैं।