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राजोद क्षेत्र के ग्रामीण स्कूलों और छात्रावासों की खस्ता हालत,  बच्चों का सुरक्षित अध्ययन संकट में

 

Dhaar News: नया शैक्षणिक सत्र शुरू हुए छः महीने से अधिक समय बीत चुके हैं, फिर भी कई ग्रामीण विद्यालयों और छात्रावासों की इमारती स्थिति जस की तस बनी हुई है। राजोद और आसपास के पंचायतों में ऐसे कई विद्यालय हैं जिनकी छतें टपक रही हैं, प्लास्टर गिर रहा है और दीवारों में बड़े दरारें आ चुकी हैं। इन कमजोर भवनों में पढ़ने वाले बच्चों को हर समय हादसे का खतरा बना रहता है।

सीनियर छात्रावास की छत की हालत सबसे चिंताजनक है। एक प्रतिष्ठित छात्रावास की छत जर्जर हो चुकी है और वहां पचास से अधिक विद्यार्थी रहते हैं। नियमित रूप से प्लास्टर गिरता है और बरसात में पानी टपकने से रहने और पढ़ने का वातावरण असुरक्षित हो जाता है। छात्र बताते हैं कि वे हर समय गिरने या चोट लगने के डर से रहते हैं। छात्रावास अधीक्षक ने बताया कि उन्होंने संबंधित अधिकारियों को समस्या से अवगत करा दिया है, पर अभी तक ठोस सुधार नहीं हुआ है।

कचनारिया गांव के नजदीकी प्राथमिक विद्यालय में भी छत से पानी टपकने की शिकायत है। यह भवन सन् 2003 में बनाया गया था और कक्षा एक से पाँच तक 21 बच्चे यहां पढ़ते हैं। प्राचार्य ने कई बार विभाग को पत्र लिख कर मरम्मत की मांग की, पर विकल्प न मिलने के कारण शिक्षण प्रभावित हो रहा है। स्कूल के पास स्थित आंगनवाड़ी का भवन भी अधूरा है, इसलिए वहां बच्चों को असुविधाजनक स्थितियों में रखा जा रहा है और कभी-कभी किराए के स्थान की व्यवस्था भी नहीं मिल पाती।

तीनपिपला के एक विद्यालय की छत सीमेंट शीटों से बनी हुई थी जो अब टूट चुकी हैं। कुछ कक्षाओं की छतें झुकने लगी हैं, जिससे विशेषकर अतिरिक्त कक्षों में पढ़ाई खतरे के साये में है। प्रधानाध्यापक ने बताया कि वे बार-बार विभाग को लिख चुके हैं पर मरम्मत कार्य लंबित है।

मोवड़ीपाड़ा इलाके के एक प्राइमरी स्कूल में भी छत से लगातार पानी टपकता है। बरसात के मौसम में बच्चों को बरामदे या ओटले पर बैठाकर पढ़ाया जाता है, जिससे पढ़ाई का स्तर प्रभावित होता है। कुछ स्थानों पर दीवारों के क्षतिग्रस्त होने से सांप और अन्य छोटे जंगली जीव विद्यालय परिसर में आने लगे हैं, जिसके कारण अभिभावक और शिक्षक दोनों चिंतित हैं।

स्थानीय शैक्षणिक अधिकारियों और स्कूल प्रबंधन को इस समस्या की जानकारी दी जा चुकी है। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग को मरम्मत एवं आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने की मांग उठ रही है ताकि बच्चों को सुरक्षित और उपयुक्त शिक्षण वातावरण मिल सके। अभिभावक और गांववाले भी मांग कर रहे हैं कि प्राथमिक मरम्मत तुरन्त की जाए और दीर्घकालिक समाधान के लिए बजट और योजनाओं पर जल्द कार्य शुरू किया जाए।

इस स्थिति को देखते हुए समुदाय उम्मीद करता है कि संबंधित विभाग जल्द हस्तक्षेप करेगा और इन जर्जर विद्यालयों तथा छात्रावासों को सुरक्षित बनाएगा ताकि बच्चे बिना भय के पढ़ाई जारी रख सकें। सभी पक्ष मिलकर जल्द समाधान न निकले तो अभिभावक स्कूलों के समक्ष जोरदार आंदोलन की चेतावनी दे चुके हैं।